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छतरपुर

समय से जांच व इलाज से 60 फीसदी कैंसर मरीजों ने मौत को दी पटखनी

जिले में पिछले पांच वर्ष में कैंसर मरीजों में 60 फीसदी समय से मर्ज की पहचान होने से कैंसर को मात देकर आज भी जीवित है। हालांकि 40 फीसदी की जान नहीं बचाई जा सकी। क्योंकि इनकी बीमारी का पता देरी से चला।

छतरपुरOct 29, 2024 / 02:16 pm

Dharmendra Singh

chhatarpur
बुंदेलखंड में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या काफी बढ़़ रही है। हर साल हजारों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो रही हैं,जिसकी वजह से उनकी जान तक चली जाती है। लेकिन अधिकतर महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि अगर समय रहते ब्रेस्ट कैंसर का इलाज हो जाए तो बीमारी से बचा जा सकता है।
जिले में पिछले पांच वर्ष में कैंसर मरीजों में 60 फीसदी समय से मर्ज की पहचान होने से कैंसर को मात देकर आज भी जीवित है। हालांकि 40 फीसदी की जान नहीं बचाई जा सकी। क्योंकि इनकी बीमारी का पता देरी से चला। आज हम कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन समय पर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान हो जाने की वजह से बीमारी का डटकर सामना किया और जीत हासिल की और कैंसर रोगियों के लिए उदाहरण बनकर उभरी हैं।

केस 1


45 वर्षीय महिला निवासी चौबे कॉलोनी छतरपुर ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर है। वह 2023 जनवरी में कैंसर नोडल डॉ श्वेता गर्ग के पास दाएं ब्रेस्ट में गठान की जांच करवाने आई थीं। जांच कर डॉ श्वेता गर्ग ने उनको ब्रेस्ट कैंसर होने की जानकारी दी और इलाज के लिए मोटीवेट किया और लगातार उनका फॉलोअप किया ।उ न्होंने भोपाल के कैंसर हॉस्पिटल में इलाज लिया और 2 साल हो जाने के बाद भी वह आज पूरी तरह स्वस्थ हैं।

केस 2


28 वर्षीय नौगांव निवासी महिला को 2023 में उनके दाएं ब्रेस्ट में गठान महसूस हुई, जो 1-2 माह में ही लगभग पूरे ब्रेस्ट में हो गई । उस समय उनकी 2 माह की बच्ची भी थी ,उनके पति बाहर नौकरी करते थे जिस वजह से वह ब्रेस्ट में गठान की समस्या किसी को बता नहीं सकी। कैंसर जांच विशेषज्ञ डॉ श्वेता गर्ग के पास आने पर उनकी ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से दाएं ब्रेस्ट कैंसर का पता चला और डॉ गर्ग ने उनको इस बीमारी कि गंभीरता समझाई और इलाज के लिए मार्गदर्शन और मोटिवेशन दिया। फॉलोअप पर पता चला की दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है और अब वह बिलकुल स्वस्थ हैं।

केस 3


42 वर्षीय निवासी छतरपुर 2021 में उनको ऐसा महसूस हुआ की दायें ब्रेस्ट में गठान बन गई हो,उस समय कोविड होने की वजह से गठान पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। समस्या के ज़्यादा बढ़ जाने पर डॉ श्वेता गर्ग के पास आई ,ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से दायें ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। डॉ श्वेता गर्ग के द्वारा इलाज का मार्गदर्शन और मोटिवेशन दिया गया । लगातार फॉलो अप पर किया, उन्होंने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में इलाज लिया और अब 3 साल बाद भी आज वह बिलकुल स्वस्थ हैं।

केस 4

50 वर्षीय महिला को 2022 में उनको अपने बायें ब्रेस्ट में गठान का पता चला। डॉ. श्वेता गर्ग द्वारा लगातार जागरूकता फ़ैलाने की वजह से वह अपने ब्रेस्ट की गठान की जांच करवाने डॉ श्वेता गर्ग के पास आई। ब्रेस्ट की एफएनएससी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चल सका और डॉ श्वेता गर्ग के द्वारा मार्गदर्शन और मोटिवेशन से उन्होंने अपना इलाज बनारस के अस्पताल में करवाया और आज वह स्वस्थ हैं।

केस 5-


50 वर्षीय शहडोल निवासी महिला को 2022 में उनको अपने बाएं ब्रेस्ट में गठान होने का पता चला। डॉ श्वेता गर्ग द्वारा लगातार जागरूकता फ़ैलाने की वजह से वह अपने ब्रेस्ट की गठान की जांच करवाने आईं। बहुत ही अर्ली स्टेज में ब्रेस्ट की एफएनएसी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चल सका और मोटिवेशन से सही समय पर उन्होंने अपना इलाज बनारस के टाटा कैंसर हॉस्पिटल में करवाया, जहां पर उनकी ब्रेस्ट की मैस्टेक्टमी सर्जरी हुई और अब वह बिलकुल स्वस्थ हैं।

केस 6


50 वर्षीय महिला को 2022 में बाएं ब्रेस्ट में गठान हुई। जागरूकता की वजह से वह डॉ श्वेता गर्ग के पास आई ,ब्रेस्ट की एफएनएससी जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। मार्गदर्शन और मोटिवेशन से उन्होंने अपना इलाज करवाया भोपाल में और आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
फोटो- सीएचपी 291024-71- डॉ. श्वेता गर्ग, कैंसर नोडल, छतरपुर

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