- चुनी हुई महिला प्रतिनिधि के बजाए उनके परिजन चला रहे पंचायतें- पंचायती राज में महिलाओं की 50 फीसदी हिस्सेदारी, लेकिन भूमिका घर तक समिति
दिलीप अग्रवाल
छतरपुर/बड़ामलहरा. महिला सशक्तिकरण को बल देने के उद्देश्य से सरकार ने महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण दिया है। यही कारण है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 50 फीसदी से अधिक महिला जनप्रतिनिधि चुनी गई हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि महिला जनप्रतिनिधि महज देखने-सुनने को ही पद पर हैं जबकि उनके परिजन अनाधिकृत रूप से महिला जनप्रतिनिधियों के पद का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में महिला सशक्तिकरण कोरी कल्पना मात्र ही साबित हो रहा है। ऐसा ही मामला बकस्वाहा विकासखंड की ग्राम पंचायत बाजना में सामने आया, जहां भागवती शुक्ला सरपंच पद पर चुनी गई हैं परंतु उनके पति मुन्ना शुक्ला अपनी पत्नी के पद का उपयोग करते हैं।
मैं तो घर संभालती हूं- सरपंच
बाजना गांव की नव निर्वाचित सरपंच भागवती शुक्ला एक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं, कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने उनसे ग्राम पंचायत के विकास कार्यों संबंधी जानकारी ली। जिस कार्यक्रम में वह शामिल हुईं उसका उन्हें पता नहीं था कि, कार्यक्रम किसलिए हुआ। इसका उद्देश्य क्या है। मीडिया के सवाल पर वह सिर्फ इतना कहती नजर आई कि, कार्यक्रम में कलेक्टर आ रहे हैं। कलेक्टर व जनपद पंचायत सीईओ का नाम पूछा तो वह नाम नहीं बता सकी। पूछने पर बताया कि, हमारे पति ग्राम पंचायत के और मैं घरेलू कामकाज देखती हूं।
देखें वीडियो-
50 प्रतिशत से अधिक महिला जनप्रतिनिधियों के हाथ पंचायतीराज व्यवस्था
महिलाओं के आत्मविश्वास को मजबूत करने, उन्हें घूंघट से बाहर लाने व सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में बराबरी का दर्जा दिया है। सरकार के आंकडों में तो महिला सशक्त हो गई है परंतु वास्तविकता में देखा जाए तो अभी भी महिलाएं घूंघट में ही हैं और घर का चौका चूल्हा ही संभाल रहीं हैं। विधानसभा क्षेत्र को बडामलहरा व बकस्वाहा विकासखंड में बांटा गया है। पंचायतीराज व्यवस्था में बडामलहरा विकासखंड के 1405 पदों में 3 महिला जिला पंचायत पंचायत सदस्यों सहित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 791 महिला जनप्रतिनिधि चुनीं गई हैं वहीं बकस्वाहा विकासखंड में 635 पदों में से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 345 के करीब महिला जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायतों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनीं गईं हैं। आंकडों के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं पंचायतीराज व्यवस्था का संचालन करना चाहिए। लेकिन इन महिला जनप्रतिनिधियों के अधिकांश पदों पर उनके पति, ससुर, जेठ, देवर या परिवार का अन्य पुरुष अवैधानिक तरीके से ग्राम पंचायतें चला रहे हैं।
देखें वीडियो-