लोग सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पुलिस से बचने के लिए नकली हेलमेट का उपयोग कर रहे हैं। शहर में ऐसे कई व्यापारी हैं, जो लोगों की नासमझी का फायदा उठाकर अमानक व नकली हेलमेट नकली ऊचे दामों में बेच रहे हैं।
शहर में यातायात पुलिस की सख्ती के बाद नकली हेलमेट का कारोबार पनप रहा है। सस्ती कीमत के चक्कर में लोग अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं। लोग सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पुलिस से बचने के लिए नकली हेलमेट का उपयोग कर रहे हैं। शहर में ऐसे कई व्यापारी हैं, जो लोगों की नासमझी का फायदा उठाकर अमानक व नकली हेलमेट नकली ऊचे दामों में बेच रहे हैं। यही नहीं, इसमें गलती लोगों की भी है जो अपनी जान की सुरक्षा करने वाले हेलमेट को केवल पुलिस से बचने का जरिया मानते हैं। शहर में बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट का चलन बाजार में काफी बढ़ गया है।
नकली हेलमेट के कारोबारी इन दिनों काफी फल‑फूल रहे हैं। इसका कारण है कि लोग जागरूक नहीं हैं। वे सुरक्षा की दृष्टि से नहीं, बल्कि पुलिस को धोखा देने की मंशा से हेलमेट का उपयोग कर रहे हैं। यही कारण है कि जहाँ शहर में आईएसआई मार्का वाले हेलमेट एक या दो बिक रहे हैं, वहीं नकली हेलमेट एक दुकान से करीब आठ से दस पीस की खरीदी हो रही है।
शहर में बस स्टैंड की ओर जाने पर आपको कई ऑटो पार्ट्स की दुकानें मिल जाएंगी, जो नकली हेलमेट का कारोबार खुलेआम कर रही हैं। करीब बीस दुकानें ऐसी हैं जो बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रही हैं। इसके अलावा कई मामले ऐसे भी हैं कि जो हेलमेट वे बेच रहे हैं, उस पर नकली आईएसआई मार्क का स्टीकर लगा है। इसके अलावा डाकखाना चौराहा, सटई रोड, छत्रसाल चौराहा से न्यायालय वाला रोड, बिजावर नाका के रोड किनारे आपको सस्ते और नकली हेलमेट की दुकानें नजर आ जाएँगी। फिलहाल दो दिनों से ये दुकानें बंद हैं, लेकिन बस स्टैंड की दुकानों पर सस्ते और नकली हेलमेट का कारोबार खुलेआम चल रहा है।
शहर में दिल्ली से थोक में आकर हेलमेट दुकानों पर पहुंच रहा है। वहीं बढ़ती तकनीक से शहर में नकली स्टीकर और आईएसआई मार्क बनाए जा रहे हैं। वहीं बड़ी‑बड़ी कंपनियों के नाम और होलोग्राम भी शहर में बनने लगे हैं।
सरकार के मापदंड के अनुसार हेलमेट सिर से लेकर कान और गले को कवर करने वाला होना चाहिए। उसके लॉक का प्रमाणीकृत होना भी जरूरी है और आईएसआई मार्क तो अहम है। असली मार्क के ऊपर भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड का नंबर होना जरूरी है। साथ ही जो हेलमेट गले तक को कवर नहीं करता उसे अधिकृत नहीं माना जाएगा। हेलमेट लेने के बाद बिल लेना भी आवश्यक है ताकि क्लेम कर सकें। मानक हेलमेट को 10 किमी से लेकर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गिराया जाता है, ताकि हेलमेट की स्ट्रेंथ को देखा जा सके। मानक के हेलमेट में नाक, कान, सिर, गला और ठुड्डी कवर होती है।
ग्राहक पंचायत के समंवयक शैलेन्द्र मिश्रा ने कहा कि ग्राहक को जागरुक होना आवश्यक है। इसके लिए ग्राहक पंचायत जागरुकता अभियान चलाएगी। ताकि ग्राहकों को पता हो कि उनकी सुरक्षा के लिए हेमलेट जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है हेलमेट आइएसआई मार्का का हो।