आईएसटीपी टैक्स की वृद्धि से कारोबार पर संकट
मंडी में गिट्टी का कारोबार यूपी राज्य की खपत पर निर्भर है, लेकिन आईएसटीपी टैक्स में 50 रुपए की वृद्धि के बाद अब व्यापारी परेशान हैं। पहले यूपी के खनिज विभाग द्वारा 100 रुपए घनमीटर आईएसटीपी टैक्स लिया जा रहा था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 150 रुपए कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी के कारण क्रेशर उद्योग पर संकट आ गया है। जिले में लगभग 23 क्रशर प्लांट बंद हो गए हैं, और बाकी क्रशर प्लांट भी बंद होने की कगार पर हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस वृद्धि के कारण हर दिन सिर्फ 2 से 3 ट्रक ही यूपी के लिए निकल रहे हैं, जो व्यापार के लिए घातक साबित हो रहा है।
मुरम और मिट्टी पर भी टैक्स
सिर्फ गिट्टी ही नहीं, बल्कि मुरम और मिट्टी पर भी यूपी के खनिज विभाग द्वारा टैक्स लगाया जा रहा है। इससे व्यापारियों की समस्याएं और बढ़ गई हैं। पहले यूपी में एमपी और अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से 100 रुपए प्रति घनमीटर टैक्स लिया जा रहा था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 150 रुपए कर दिया गया है। यह बदलाव खासतौर पर गिट्टी, रेत और मुरम के कारोबारियों के लिए परेशानी का कारण बन गया है।
मजदूरों का पलायन जारी
क्रशर एसोसिएशन के मुताबिक, यूपी में वाहनों की क्षमता 1.64 टन और एमपी के वाहनों की क्षमता 1.41 टन निर्धारित की गई है, जिससे भी व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। अब तक जिले में 23 क्रशर प्लांट बंद हो चुके हैं, और कई व्यापारी अपने प्लांटों को उखाडकऱ अन्य जगहों पर शिफ्ट कर रहे हैं। क्रशर उद्योग के बंद होने से मजदूरों का पलायन भी जारी है। विशेषकर यूपी की सीमा से लगे प्रकाश बम्हौरी और दिदवारा मंडी में सिर्फ गिने-चुने क्रशर प्लांट ही बच गए हैं। इस संकट के कारण कई मजदूरों को रोजगार मिलना बंद हो गया है, और वे काम की तलाश में अन्य स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
क्रशर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोट में लगाई गुहार
क्रशर एसोसिएशन ने यूपी सरकार के इस फैसले के खिलाफ एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है। एसोसिएशन का कहना है कि इस बढ़ी हुई टैक्स दर के कारण जिले क्रशर उद्योग पर गहरा असर पड़ा है। व्यापारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को शासन और प्रशासन स्तर पर उचित फोरम तक पहुंचाया जाएगा। डिप्टी डायरेक्टर, माइनिंग अमित मिश्रा ने कहा कि हम क्रशर और खनिज कारोबारियों की समस्याओं को प्रशासन के माध्यम से शासन तक पहुंचाएंगे। एसोसिएशन और व्यापारियों का मानना है कि यदि शीघ्र इस मुद्दे का समाधान नहीं निकाला गया, तो क्रशर उद्योग और संबंधित क्षेत्रों में बेरोजगारी और आर्थिक संकट और बढ़ सकता है। आईएसटीपी टैक्स में वृद्धि से जिले का क्रशर उद्योग पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। व्यापारी और श्रमिक इस फैसले से परेशान हैं, और अब उनकी नजरें सुप्रीम कोर्ट और शासन से मिलने वाले न्याय पर टिकी हैं। सरकार की ओर से इस मामले में जल्द हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि जिले की आर्थिक स्थिति और क्रशर उद्योग को पुन: सुचारू रूप से चलाया जा सके।