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छिंदवाड़ा

एक कलाकार जिसने रफी के अंदाज में जमा दिया रंग

मॉर्निंग गु्रप के सदस्यों ने सेलिब्रेट किया रफी साहब का जन्मदिवस

छिंदवाड़ाDec 24, 2018 / 11:43 am

manohar soni

chhindwra

एक कलाकार जिसने रफी के अंदाज में जमा दिया रंग


छिन्दवाड़ा। मोहम्मद रफी। हिंदी सिने जगत के इस अमर गायक का नाम आते ही न जाने कितने क्लासिकल,रोमांटिक और सदाबहार नगमे जुबां पर आ जाते हैं और इन गीतों के भावों पर जीवन की यादे तरोताजा हो जाती है। सोमवार 24 दिसम्बर को उनके जन्मदिवस पर संगीत जगत याद कर रहा होगा,तब धर्मटेकरी का मॉर्निंगगु्रप भी अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दे रहा होगा। इस गु्रप के सदस्यों ने एक दिन पूर्व रविवार को उनके जन्मदिवस को सेली ब्रैट किया।
इस गु्रप के गायक कलाकार स्वरुप शरण उइके ने एक से एक तराने पेश किए। पेशे से शिक्षक-जुन्नारदेव विकासखंड में ग्राम बुधवारा के प्रायमरी स्कूल में पोस्टेड उइके शौकिया तौर पर गायक कलाकार है। छिन्दवाडा शहर से लेकर जुन्नारदेव तक में गीत-संगीत से जुड़ा कोई व्यक्ति शायद ही इनसे परिचित न हो। रफ़ी साहब का जन्मदिवस हो य फि र पुण्यतिथि,बस एक ही जूनून। गीत-संगीत का प्रोग्राम होना चाहिए। संगीत जगत की इस हस्ती ने बताया कि छात्र जीवन से ही रेडियो से रफी साहब के गीत सुनते सुनते खुद गाने भी लगे। उनकी संगीत से जुड़े एक परिवार ने मदद की। फि र प्रयाग यूनिवरसिटी से 6 साल का संगीत का डिप्लोमा लिया। फि र गाते गाते बीस साल हो गए। इस दौरान थाई लैंड और मलेशिया जाने का मौका मिला। उन्होंने खुद कई लोकगीत भी लिखे और कंपोज किए। बस एक तमन्ना दिल में रह गई। लाख प्रयास के बाद भी बालीवुड में स्थान नहीं बना पाए। उन्होंने 1996 में एक म्यूजिक एल्बम माँ सुमरन भी लांच लिया। मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में प्रोग्राम दिए। इसके अलावा जिंदगी में सब कुछ मिला। इस संडे धर्म टेकरी की सुबह सवेरे की पार्टी में उन्होंने रफ़ी साहब का गीत सुनाया-मैं जट यमला पगला दीवाना हो रब्बा।बिलकुल उस अमर गायक की आवाज। फिर क्या था पूरा गु्रप झूम उठा। फिर ग्रुप के एक और कलाकार अनूप पवार ने भी सुर में सुर मिला दिया।

ओ दूर के मुसाफि र
स्वरुप शरण को रफी साहब के गीत..ओ दूर के मुसाफि र, मैं जट यमला पगला दीवाना,तू इस तरह मेरी जिंदगी में शामिल है,ओ दुनिया के रखवाले,मन तडफ़ त हरि दर्शन को आज और सुहानी रात ढल चुकी है..गीत ज्यादा पसंद है तो उनके स्वरचित लोकगीत हम तो चले है अपने गांव,जिंदगी तेरे लिए कोई तो हमसफ़ र चाहिए..चंदा चांदनी रात में और देवी गीत शोर मचा है गलियों में..शेर पर सवार होकर आई है मैया..जैसे गीत इस कलाकार की पूंजी है।

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