पांच हजार से ज्यादा मौत
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जिले से पांच हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। उस दौर में ये हाल था कि सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में पीडि़तों को बेड नहीं मिलते थे। जिला अस्पताल से हर दिन 50 मृतकों के शव निकलते थे। मोक्षधाम के अलावा तीन और स्थानों पर मृतकों के शवों के दाह संस्कार का इंतजाम किया गया था। हजारों परिवारों ने अपने मुखियाओं को खो दिया था। इससे हजारों बच्चे अनाथ हो गए थे। उस समय की मार्मिक तस्वीर और घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं।
कोरोना से प्रभावित 940 बच्चों को 4 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन मंजूर हो गई है। इसका प्रस्ताव कोरोना संक्रमण के समय राज्य शासन को भेजा गया था। इसका एकमुश्त भुगतान कराया गया। आगे भी उन्हें इसका लाभ मिलता रहेगा।
मोनिका बिसेन, महिला बाल विकास अधिकारी