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मेडिकल कॉलेज की सौगात के बाद भी न्यूरो सर्जन नहीं

ज्यादातर मामलों में मौत की वजह समय पर इलाज नहीं

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छिंदवाड़ा. जिले में सडक़ हादसों में सिर पर चोट लगने से लगातार मौत सामने आ रही है, लेकिन उसके बाद भी जिले में न्यूरोसर्जन की कमी बनी हुई है। जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में अभी भी कई कमियां हैं, जिस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद भी कई बीमारियों के विशेषज्ञ को लेकर निर्भरता पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर शहर से जुड़ी हुई है। सडक़ हादसे के दौरान सिर पर गंभीर चोट लगने के बाद जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। लेकिन जिला अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन के न होने से घायल को नागपुर रेफर किया जाता है। ज्यादातर मामलों में समय पर उपचार शुरू नहीं होने के कारण मरीज की मौत हो जाती है।

जिले में सडक़ हादसों का ग्राफ प्रति वर्ष बढ़ रहा है। 2023 की बात की जाए तो 12 माह में सडक़ हादसों में 400 लोगों की मौत हुई है, लेकिन फिर भी जिले में न्यूरोसर्जन की नियुक्ति को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। हादसे में 90 प्रतिशत मौत सिर पर गंभीर चोट लगने से होती है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने के साथ ही यह उम्मीद थी कि न्यूरोसर्जन का पद होगा। शुरुआत में एक पद स्वीकृत था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया।

वर्तमान में शासकीय व्यवस्था में न्यूरासर्जन, न्यूरो फिजिशियन नहीं हैं। ऐसे में शहर के निजी अस्पताल इन विशेषज्ञ डॉक्टरों को नागपुर से सप्ताह या फिर 15 दिन में बुलाते हैं। इस दौरान मोटी फीस लगती है। हालांकि इमरजेंसी में तो मरीज को नागपुर ले जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है।