जिले में सडक़ हादसों का ग्राफ प्रति वर्ष बढ़ रहा है। 2023 की बात की जाए तो 12 माह में सडक़ हादसों में 400 लोगों की मौत हुई है, लेकिन फिर भी जिले में न्यूरोसर्जन की नियुक्ति को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। हादसे में 90 प्रतिशत मौत सिर पर गंभीर चोट लगने से होती है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने के साथ ही यह उम्मीद थी कि न्यूरोसर्जन का पद होगा। शुरुआत में एक पद स्वीकृत था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया।
वर्तमान में शासकीय व्यवस्था में न्यूरासर्जन, न्यूरो फिजिशियन नहीं हैं। ऐसे में शहर के निजी अस्पताल इन विशेषज्ञ डॉक्टरों को नागपुर से सप्ताह या फिर 15 दिन में बुलाते हैं। इस दौरान मोटी फीस लगती है। हालांकि इमरजेंसी में तो मरीज को नागपुर ले जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है।