छिंदवाड़ा . जनमाष्टमी उत्सव समाप्त होने के बाद से ही गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। घरों में विघ्नहर्ता विराजेंगे। पूरे जोश और उत्साह के साथ गणेश उत्सव मनाया जाता है। लेकिन इस दौरान प्रकृति को न भूलें। प्रकृति कहती है कि मिट्टी के गणेश ही घरों में विराजें।
जिससे न तो उत्सव में कोई भंग पड़ेगा और न ही प्रकृति को कोई दिक्कत होगी। गणेश उत्सव पर घर घर में गणेश प्रतिमा विराजेंगी। धर्म की बात करें तो उसमें भी माटी की मूर्ति को ही पूज्य बताया गया है। एेसे में आप भी मिट्टी के गणेश ही घर पर बैठाएं। यह आसानी से घर पर ही बनाए जा सकते हैं।
सभी कष्टों को हरने वाले विघ्रहर्ता को रिद्धि.सिद्धि और शुभ कामना का प्रतीक माना जाता है। मंगलमूर्ति कहें या गजानन अपने भक्तों की पीडा सदैव हर लेते है। ज्योतिषी ओशोप्रिया के अनुसार वर्षभर जो श्री गणपति की आराधना नहीं कर पाते हैंए उनको गणपति चतुर्थी के दिन जिंदगी में परिवर्तन के लिए विशेष उपाय करके स्वयं की तरक्की की राह खोल देना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि गणपति की आराधना उनके जन्मदिन के दिन करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, नौकरी, व्यवसाय, विवाह, संतान, यश प्राप्ति आदि का समाधान होता है।
धन प्राप्ति के लिए
सर्वप्रथम श्री गणेश की पूजा कर घी और गुड का भोग लगाएं। कुछ देर बाद घी और गुड का भोग गाय को खिला दें। ऐसा करने से आपको धन की प्राप्ति अवश्य होगी।
कष्टों से निजात
यदि काम में बार-बार विघ्न हो रहें हैं, आपकी कोशिश निरर्थक साबित हो रही है तो इस मंत्र का जाप करने से आपको अवश्य फल मिलेगा। मंत्र है ऊं गं गणपतये नम:।
परिवार में क्लेश
यदि घर परिवार में आए दिन कलह क्लेश होते हैं तो गणेशजी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं और इस मूर्ति की विधि विधान से व समर्पित रूप से पूजा करने पर आपको इसका लाभ अवश्य मिलेगा।
रोके नकारात्मकता
घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति लगाने से नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती। इसके साथ ही घर
में सुख शांति का वास भी रहता है।
घरों में ही करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन
माटी से बने गणपति की मूर्ति फिनिशिंग के मामले में प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनी प्रतिमा से कमतर हो सकती है लेकिन प्रकृति के लिहाज से प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनी मूर्ति बहुत ही खतरनाक साबित होती हैं। इन मूर्तियों को जिन रंगों से सजाया जाता है उनमें क्रॉमियम, निकिल, कॉपर आदि घातक केमिकल का उपयोग किया जाता है।
एेसे में इन प्रतिमाओं को तालाब, डेम आदि क्षेत्रों में विसर्जित किया जाता है। जिससे इनका पानी दूषित हो जाता है और इनमें निवास करने वाले जीव भी मर जाते हैं। इस बार आप संकल्प लें कि गणपति बप्पा की मूर्ति माटी से घर पर ही बनाएंगे और घर पर ही इन्हें विसर्जित करेंगे।
महाराष्ट्र की बात करें तो यहां गणपति को घरों में ही विसर्जित किया जाता है।
घर-घर ईको फ्रेंडली गणेश बैठाने के लिए पत्रिका द्वारा अभियान भी चलाया जा रहा है। स्कूलों व अन्य संस्थान में पत्रिका द्वारा स्टूटेंड्स को मिट्टी के गणेश बनाना सिखाया जा रहा है।