पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा का बकाया 40 करोड़ रुपए का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। मजदूरी के 71 लाख रुपए बकाया बताए गए है तो वहीं मटेरियल के 39.36 करोड़ बिल लटके हुए हैं। मजदूर और व्यवसायी भुगतान के लिए पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं। जिला पंचायत के अधिकारी बजट जल्द मिलने का भरोसा जता रहे हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा का बकाया 40 करोड़ रुपए का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। मजदूरी के 71 लाख रुपए बकाया बताए गए है तो वहीं मटेरियल के 39.36 करोड़ बिल लटके हुए हैं। मजदूर और व्यवसायी भुगतान के लिए पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं। जिला पंचायत के अधिकारी बजट जल्द मिलने का भरोसा जता रहे हैं।
मनरेगा के डैशबोर्ड के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष से अभी तक 296 .58 करोड़ रुपए से रोड,नाली,मेढ़ बंधान,शैलपर्ण समेत अन्य निर्माण कार्य कराए जा चुके हैं। इनमें से 272.64 करोड़ रुपए के भुगतान हो चुके हैं। पिछले छह माह से मजदूरी के 71 लाख तथा मटेरियल के 39 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो पाया है।
इसके चलते अधिकांश पंचायतों में मजदूरों ने काम पर आना बंद कर दिया है तो कुछ स्थान पर धीमी गति से निर्माण कार्य हो रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन में भी मजदूरी न मिलने की शिकायतें दर्ज होने लगी है। पंचायतों के सचिव मजदूरों को जनपद पंचायत में पता करने कहते हैं तो वहीं जनपदों से उन्हें जिला पंचायत पहुंचा दिया जाता है। इस तरह मजदूरों को यहां से वहां भटकाया जा रहा है।
जिला पंचायत के मनरेगा परियोजना अधिकारी निशांत सिक्केवाल का कहना है कि मनरेगा में बकाया भुगतान के लिए 29 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली है। इस राशि से पुराने बकाया का भुगतान किया जाएगा। शेष राशि के बारे में बातचीत की जाएगी।
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केन्द्र सरकार से मनरेगा का बजट नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते पिछले कुछ माह से लगातार बजट ब्रेक हो रहा है। इससे मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही मटेरियल का भुगतान कई माह से लटका हुआ है। इस समस्या के कारण जिले के मजदूरों और मटेरियल सप्लायर्स को परेशानी उठानी पड़ रही है। मनरेगा के कामकाज गांवों में रुके हुए हैं।
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