12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महिला मार्शल आर्ट खिलाडिय़ों संग गुस्ताखी पड़ी महंगी: ऐसा हुआ बुरा हाल

छेड़छाड़ कर रहे युवकों की जमकर पिटाई

2 min read
Google source verification
FIR

छिंदवाड़ा/नागपुर. सख्त कानून होने के बावजूद मनचले युवतियों, महिलाओं से छेडख़ानी करने से बाज नहीं आते, लेकिन कई बार यह छेडख़ानी बेहद महंगी साबित होती है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है।
दरअसल, औरंगाबाद में विंग चुन मार्शल आर्ट की नेशनल लेवल की दो प्लेयर्स संग खुले आम छेड़छाड़ हुई। दोनों खिलाडियों ने मनचले युवकों को दौड़ कर पकड़ा और उन्हें जमकर पीटा। वे उन्हें पीटते हुए पुलिस स्टेशन तक लेकर गई। फिलहाल पुलिस ने सभी के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक ऑटो रिक्शा से जा कुछ लडक़ों ने सडक़ किनारे चल रही दो महिला खिलाडिय़ों संग छेड़छाड़ की कोशिश की। उन्होंने लड़कियों पर भद्दी टिप्णी की और सिटी बजाई। इनमें से एक युवक लड़कियों के पीछे चलने लगा। इसके बाद लड़कियों ने ऑटो रिक्शा रोक लडक़ों को दौडक़र पकड़ा और उनकी पिटाई शुरू कर दी। लड़कियों ने पहले उन्हें सडक़ पर पीटा फिर उन्हें पीटते हुए पुलिस स्टेशन तक ले गई। वहां भी उनकी जमकर पिटाई की गई। अपने आप को घिरा देख लडक़े माफी मांगने लगे, लेकिन लड़कियों ने उन्हें नहीं छोड़ा। जब तक पुलिस स्टेशन इंचार्ज वहां पहुंचता तब तक वह अपने हाथ साफ कर चुकी थी। इसके बाद पुलिसवालों ने भी लडक़ों की पिटाई की। फिलहाल सभी लडक़ों के विरुद्ध छेडख़ानी का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

बस स्टैंड पर बिक रही अश्लील पुस्तकें
महिला यात्रियों में भय प्रशासन उदासीन
नागपुर. नागपुर में शीत सत्र के चलते सरकार बैठी हुई है। इसी बीच शहर के प्रमुख बस स्टैंड में धडल्ले से अश्लील किताबें बेची जा रही हैं। गणेशपेठ का एसटी स्टैंड किताब बेचने वाले बाहरी वेंडरों की पसंदीदा जगह बन गई है। दिल्ली का निर्भया प्रकरण सबको याद है लेकिन उपराजधानी में शायद प्रशासन इसे भूल बैठा है। बस स्टैंड में बिक रही ऐसी किताबों के कारण महिला यात्रियों में भय का वातावरण बना हुआ है। पीले रंग के कागज में लिपटी हुई किताबों का ये बंडल बस में बैठे शौकीनों को संकेत दे देता है।
वेंडर के आते ही ऐसा साहित्य पसंद करने वाले बस स्टैंड और चलती बस में ही किताबें खोलकर इसे पढना शुरू कर देते हैं। पुस्तकों के आपत्तिजनक चित्र कई सहयात्रियों के लिए असुविधाजनक होते हैं, लेकिन इन्हें पढऩे वालों को दूसरों की तकलीफ से कोई फर्क नहीं पड़ता। बेचने और पढऩे वाले बेखौफ अपना-अपना काम कर रहे हैं। महामंडल की बसों से कामकाजी व व्यवसाय करने वालों के अलावा बड़ी संख्या में छात्राएं भी नियमित रूप से आती-जाती हैं।