चूरू. जिले की गोशालाओं में पल रहे गोवंश के चारे के लिए मिलने वाले अनुदान की राह में पहले हाकिमों की लापरवाही आड़े आ गई। अब आचार संहिता का रोड़ा अटकने से गोशालाओं को अनुदान मिलने की राह मुश्किल हो गई है।
ऐसे में जिले की गोशालाओं को अप्रेल, मई व जून महीनों के अनुदान की किश्त अब तक नहीं मिल सकी है। जबकि गोपाल विभाग ने पशुपालन विभाग को गोशालाओं को अनुदान जारी करने का आदेश जारी कर दिया। सरकार की ओर से विभाग के खाते में २१ सितंबर को करीब नौ करोड़ रुपए अनुदान की राशि भी भिजवा दी। अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करने की बजाय पांच दिन की ढिलाई के बाद २६ सितंबर को कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक कर अनुदान देने की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करने की अनुशंसा कर दी। बाद में वित्तीय स्वीकृति के लिए फाइल को उच्चाधिकारियों को भिजवाने की बजाय पशुपालन विभाग ने अपने पास दबाए रखा। इस बीच आचार संहिता लग गई। उसके बाद अधिकारियों ने कलक्टर के पास फाइल स्वीकृति के लिए भिजवाई। जिस पर कलक्टर ने निर्वाचन आयोग को फाइल भिजवाकर स्वीकृति जारी करने के संंबंध में मार्गदर्शन मांगा है। वहां से अब स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
आचार संहिता से एक दिन पहले लगाया नया नियम
राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले नया नियम लागू कर गोशाला संचालकों की परेशानी बढ़ा दी। गौरतलब है कि गोशालाओं की ओर से अनुदान के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले बाउचर पर गोशाला अध्यक्ष के हस्ताक्षर होते हैं। मगर विभाग ने अचानक पांच अक्टूबर को बाउचर पर अध्यक्ष के अलावा कोषाध्यक्ष या सचिव के हस्ताक्षर करवाने की बाध्यता लागू कर दी। ऐसे में अपने बाउचर जमा करवाने आए गोशाला संचालकों को निराश लौटना पड़ा।
चारा सस्ता, फिर भी नहीं खरीद पा रहे
हरियाणा व राजस्थान में खरीफ फसलों की कटाई के बाद बचा चारा बहुतायत में उपलब्ध है। चारा नहीं बिकने से किसान इसे जलाकर नष्ट कर रहे हैं। जिले में इन दिनों अधिक उपलब्धता के कारण चारा सस्ता भी है। मगर कमजोर आर्थिक स्थिति व अनुदान नहीं मिलने से गोशाला संचालक अपने गोवंश के लिए ये चारा खरीद नहीं पा रहे हैं।
कर्ज में डूबी जिले की गोशालाएं
वर्ष २०१८ की प्रथम किश्त यानि तीन महीनों का अनुदान मिलने की आश में गोशाला संचालकों ने उधार में चारा सहित अन्य संसाधन खरीद लिए। इसके अलावा गोवंश की सुविधा के लिए निर्माण सहित अन्य कार्य करवा लिए। अब अनुदान नहीं मिलने से गोशालाएं कर्जदार हो रही हैं।
इस्तीफे देने की जता चुके इच्छा
गत २२ अक्टूबर को इंद्रमणी पार्क में जिले की करीब ६० गोशालाओं के संचालकों ने संत सामेश्वरानंद के सान्निध्य में बैठक कर अनुदान नहीं मिलने से हो रही परेशानियों पर चर्चा की। इस दौरान संत ने गोवंश के हितों के लिए आमरण अनशन की चेतावनी दी। वहीं गोशाला संचालकों ने भी अपने इस्तीफे प्रशासन को सौंपकर संचालन का कार्यभार प्रशासन को ही सौंपने की इच्छा जताई।
राज्य सरकार ने अप्रेल, मई व जून का अनुदान देने की घोषणा कर दी। मगर प्रशासन की लापरवाही की वजह से आज तक गोशालाओं को अनुदान नहीं मिल सका है। अनुदान के भरोसे चारे के लिए गोशाला संचालकों ने कर्जा ले लिया। अब उन्हें परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। अनुदान नहीं नहीं मिला तो विकट स्थिति हो जाएगी।
विमल सारस्वत, अध्यक्ष
जिला गोशाला संघ, चूरू
आचार संहिता लगने से पहले नया नियम लागू कर दिया गया। ऐसे में बाउचर कंप्लीट नहीं हो सके। अब आचार संहिता के कारण उच्च स्तर पर वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने से अनुदान अटका है।
-जगदीश शर्मा, उप निदेशक
पशुपालन विभाग, चूरू