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#Swacch Bharat Mission जिला परिषद की टीम ने माना गबन,पंचायत समिति की जांच टीम ने दिया क्लीनचिट

Corruption in Anandan Singh Pura taranagar churu कहीं भ्रष्टाचार को छुपाने की साजिश तो नहीं, जांच में अधिक समय लगाने पर उठे सवाल, ग्राम पंचायत आनंदनसिंह पुरा में सोख्ता गड्ढा निर्माण में गबन का प्रकरण

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राकेश कुमार गौतम. चूरू.

जिला परिषद की टीम ने जिस ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच को गबन (Corruption) का दोषी माना था उसे पंचायत समिति की तीन सदस्यीय जांच टीम ने क्लीनचिट दे दी है। यह मामला तारानगर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत आनंदसिंहपुरा (Anandsingh pura) का है। जिला परिषद के परियोजना समन्वयक अधिकारियों की टीम ने दिसंबर 2018 में सोख्त गड्ढों के निर्माण में गबन की जांच की थी। जांच में 21 ऐसे प्रकरण थे जिनमें एक नाम से दोहरा भुगतान उठाने, बिना निर्माण भुगतान उठाने तथा एक मृतक के नाम से भुगतान उठाने का मामला सामने आया था।


सीईओ ने तीन दिन में जांच रिपोर्ट मांगी, बीडीओ ने साढ़े चार माह बाद दी
गौरतलब है कि शिकायतकर्ता ढाणी आशा निवासी चन्द्रपाल ने 10 जुलाई 2018 में जिला परिषद में इसकी शिकायत की थी। इस पर जिला परिषद की दो सदस्यीय जांच टीम ने दिसंबर 2018 में जांच रिपोर्ट सीईओ को सौंप दी थी। इस पर सीईओ ने 30 जनवरी 2019 को तारानगर बीडीओ को तीन दिवस में जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। आदेश में यह भी लिखा था जांच में प्रथम दृष्टया ग्राम पंचायत सरपंच व ग्राम सेवक को दोषी पाया गया था। लेकिन पंचायत समिति विकास अधिकारी ने तीन दिन की बजाय जांच कराने में साढ़े चार माह लगा दिया। जांच कराने में की गई देरी भी कई सवाल उठा रही है।


शिकायतकर्ता के आरोप
वहीं शिकायत कर्ता का आरोप है कि उसने जुलाई 2018 में शिकायत की थी। इसके कुछ माह बाद जिला परिषद ने जांच कराई। जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि हो गई फिर भी सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी पर कार्रवाई नहीं कर सीईओ ने बीडीओ को फिर से जांच आदेश दे दिया। बीडीओ ने समय से जांच नहीं की और तीन दिन की बजाय साढ़े चार माह बाद जांच कराई। इस अवधि में आरोपियों ने बचने के लिए दूसरे लोगों के नाम से अन्य कुंड बनवाकर 500 को कोटा पूरा कर दिया। लेकिन इस तरह निर्माण कराना भी गलत है। इस बात को अधिकारी भी मानते हैं।


जानिए पूरा प्रकरण


जिला परिषद ने ग्राम पंचायत आनंदसिंह पुरा में 24 जून 2016 में 500 सोख्ता गड्ढों के निर्माण की स्वीकृति जारी की थी। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन (Swacch Bharat Mission) के मद से छह लाख 60 हजार रुपए तथा ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के मद से सात लाख, 16 हजार 613 रुपए स्वीकृत किए गए थे। लेकिन शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मेजर बुक में जिनके नाम थे उनमें से अनेक लोगों के नाम से सोख्ता गड्ढे नहीं बनाकर राशि का गबन कर लिया गया। कुछ के नाम से दोहरा भुगतान उठा लिया गया। इस जिला परिषद से दो सदस्यीय जांच दल बनाया गया। लेकिन अभी तक जांच अधूरी है।

जानिए दोनों जांच रिपोर्ट की हकीकत, कौन सही कौन गलत
जांच में गलत भुगतान पाया गया था
जिला परिषद जांट टीम के प्रभारी जिला परियोजना समन्वयक श्यामलाल पारीक ने बताया कि उनकी तरफ जो जांच की गई थी उनमें ग्राम पंचायत के गांव ढाणी आशा निवासी कुरड़ाराम, करणपुरा निवासी सुभाष व बद्रराम, धनपत, महावीर, रणवीर, नरेश, गोडास निवासी संतलाल व महेन्द्र के नाम से दोहरा भुगतान उठाया गया था। इसके अलावा गोडास निवासी लेखराम, संतलाल, मदन कुमार, ढाणी आशा निवासी रमेश कुमार, मगराज, ओमप्रकाश, ताराचंद, मघराज, रामनाथ, रामनारायण, बीरबल राम के नाम से बिना निर्माण के भुगतान उठाया गया था। इसके अलावा एक चार साल पहले मृत करणपुरा निवासी हरिराम के नाम से निर्माण दिखाकर भुगतान उठाया गया था।

बीडीओ बोले नहीं हुआ गबन
पंचायत समिति तारानगर के विकास अधिकारी अजीतसिंह राव ने बताया कि जिला परिषद ने जो जांच कराई थी उसमें कुछ बिन्दुओं को शामिल नहीं किया गया था। इसलिए उन्होंने इस तरह रिपोर्ट बना दी। उनकी तरफ से जांच के लिए एईएन भागीरथ कटारिया, पीओ छगनलाल, जेईएन विनोद कुमार की टीम बनाई गई थी। टीम ने सात दिन तक एक-एक लाभार्थियों के घर जाकर रिपोर्ट बनाई। जांच में पाया गया कि जितने गड्ढे स्वीकृत किए गए थे उतने आज भी बने हैं। मेजर बुक में जिनका नाम था उसमें से कुछ लोगों ने नहीं बनवाया। इसके कारण दूसरे लोगों के गड्ढे बनवा दिए गए। लेकिन सरपंच ने उक्त लोगों के पंचायत से अनुमोदित नाम नहीं भिजवाए। इसके कारण लोगों को भ्रम हो गया कि गलत भुगतान उठाए गए हैं। जिला परिषद की जांच रिपोर्ट में दोहरे नाम से भुगतान उठाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोहरा भुगतान एक भी नहीं हुआ है। यानी जिला परिषद की जांच रिपोर्ट गलत है।

दोनों जांच रिपोर्ट को मिलाएंगे, सही नहीं मिली तो फिर से जांच कराएंगे
''आनंदङ्क्षसह पुरा ग्राम पंचायत में सोख्ता गड्ढों के निर्माण में अनियमितता की जांच के लिए आदेश दिए गए थे। बीडीओ ने जो जांच रिपोर्ट दी है उसमें गबन नहीं पाया गया है। जबकि जिला परिषद की जांच में गबन का कुछ मामले सामने आया था। दोनों रिपोर्ट व स्वीकृति तथा नियम आदि की जांच करेंगे। यदि जांच संतोषप्रद नहीं रही तो फिर से दूसरी एजेंसी से जांच करवाएंगे। ''
देवाराम सुथार, सीईओ, जिला परिषद, चूरू