जानकारी के मुताबिक सादुलपुर के राजकीय महाविद्यालय से सुबह पोलिंग पार्टियों को रवाना किया गया था। उसी दौरान कार्मिक ताराचंद पुत्र रूपाराम की अचानक तबीयत खराब हो गई। चक्कर आने पर कर्मचारी जमीन पर गिर गया। इस पर उन्हें उपचार के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन, दो घंटे तक चले उपचार के बाद कार्मिक की मौत हो गई। पुलिस ने शव को सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया दिया है। इस दौरान उपखंड अधिकारी, तहसीलदार सहित कई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
इधर, कार्मिक ताराचंद की मौत के बाद परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल है। वो तारानगर के वार्ड नंबर 8 में रहते थे और वन विभाग में बुचवास गांव में कार्यरत थे। उनकी मौत के बाद मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है।
आखिर कार्मिक की मौत का जिम्मेदार कौन?
अब सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर मतदान कर्मी ताराचंद की मौत का जिम्मेदार कौन है? मतदान दल रवानगी केंद्र पर स्ट्रेचर की व्यवस्था क्यों नहीं थी। कार्मिक को समय पर उचित इलाज क्यों नहीं मिल पाया। अभी तक इन सवालों पर प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। अगर मतदान दल रवानगी केंद्र पर पुख्ता इंतजाम होते तो कार्मिक की जान बच सकती थी।