युवी को नहीं मिलेगा मौका –
इन खिलाड़ियों में सबसे पहला नाम भारतीय टीम के सिक्सर किंग युवराज सिंह का है। युवी ने अपनी दम पर भारत को 2011 विश्वकप जिताया था। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के बावजूद युवी ने हार नहीं मानी और भारत को विश्वकप जितने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अनफिट और ख़राब फॉर्म के चलते युवराज आज टीम में वापसी को तरस रहे हैं। वैसे तो भारतीय टीम अबतक चौथे और छठे क्रम के बल्लेबाज की तलाश में जुटा ही हुआ है। बावजूद इसके युवराज सिंह इस मौके को भुनाने मे कामयाब नहीं हो पा रहे। युवी का बल्ला हालही में हुई विजय हजारे ट्रॉफी में भी शांत रहा है ऐसे में उनका विश्वकप खेलना लगभग नामुमकिन है।
रहाणे इस बार नहीं खेलेंगे विश्वकप –
दूसरा नाम है भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे का। टेस्ट टीम के अहम सदस्य रहे अजिंक्य रहाणे लंबे वक्त से वन-डे टीम से बाहर चल रहे हैं। मौजूदा फॉर्म देखकर विश्व कप तक उनकी वापसी मुश्किल ही नजर आ रही है। रहाणे जब अच्छे फॉर्म में थे तब उन्हें टीम में मौका मिला लेकिन प्लेइंग एलेवेन में मौका नहीं मिला। रहाणे लगातार कई सीरीज तक बेंच पर बैठे रहे और फिर टीम से बाहर हो गए।विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई की ओर से खेलते हुए उन्होंने ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। हालांकि उन्होंने शुरुआत में एक शतक और अर्धशतक लगाया था लेकिन हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 17 तो दिल्ली के खिलाफ महज 10 रन ही बनाए। इसके बाद देवधर ट्रॉफी में भी उनका बल्ला अब तक खामोश ही रहा। इंडिया ‘सी’ का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने ‘बी’ के खिलाफ 32 तो ‘ए’ के विरूद्ध 14 रन ही बनाए।
मिले हुए मौके को भुना नहीं पाए रैना –
इस लिस्ट में तीसरा नाम भारतीय खब्बू बल्लेबाज सुरेश रैना का है। 2011 विश्वकप जीतने वाली टीम के सदस्य रैना सायद ही इस बार विश्वकप खेल पाए। रैना ख़राब फॉर्म के चलते टीम से कभी बाहर तो कभी अंदर होते रहे हैं। हालही में उन्हें अनफिट अम्बाती रायडू कि जगह इंग्लैंड दौरे में चुना गया था। लेकिन वहां भी रैना कुछ खास नहीं कर पाए और रायडू के फिट होते ही टीम से बाहर हो गए। भारतीय टीम कि सबसे बड़ी मुश्किल उसका चौथा क्रम है। वहां बल्लेबाजी करने के लिए भारत के पास अब भी कोई अच्छा बल्लेबाज नहीं है ऐसे में रैना से उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन रैना ने न तो विजय हजारे ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की ओर से खेलते हुए कोई कमाल दिखाया और न ही वे देवधर ट्रॉफी में इंडिया ‘सी’ की ओर से खेलते हुए किसी को प्रभावित कर पाए।
विदेशी पिचों में नहीं चलती अश्विन की फिरकी –
इस लिस्ट में आखिरी नाम टेस्ट के दिग्गज गेंदबाज रविचंद्र अश्विन का है। एक समय था जब अश्विन भारतीय वनडे टीम का अहम हिस्सा थे। लेकिन युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव के डेब्यू करते ही अश्विन टीम से बाहर हो गए। इसकी वजह उनका बिगड़ता हुआ फॉर्म है। अश्विन वनडे में विदेशी पिचों में अपना कमाल दिखने में पूरी तरह नाकाम रहे। ऐस में वनडे में उनकी वापसी मुश्किल है। पिछले साल वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेलने वाले अश्विन का विश्व कप में चयन भी मुश्किल ही लगता है। अश्विन के हालिया प्रदर्शन पर नजर डाले तो देवधर ट्रॉफी में इंडिया ‘ए’ की ओर अश्विन कोई कमाल भी नहीं दिखा पाए थे। ऐसे में 32 वर्षीय इस खिलाड़ी के लिए वनडे टीम में वापसी दूर की कौड़ी ही साबित हो रही है।