
Increasingly, the incidence of snakebite, 15 deaths so far, do your s
दमोह. बारिश आते ही जिले भर में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। जिसमें जरा सी असावधानी के कारण लोगों की मौत होने में देर नहीं लगती। आवश्यकता इस बात की होती है कि अगर उन्हें समय पर उपचार मिल जाता है तो उनकी थमने वाली सांसें चलने लगती हैं। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें झाडफ़ूक पर अधिक विश्वास होता है और वह अंधविश्वास के चक्कर में मरीज की जान से खिलवाड़ करने से नहीं चूकते। एक ओर तो इस तरह की परेशानी सामने आती है तो दूसरी ओर यदि मरीज को समय पर एंटी स्नेक बाइट इंजेक्शन नहीं लग पाता तो मरीज का बचना असंभव हो जाता है। हालांकि इसके लिए जिला अस्पताल से लेकर सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक बाइट इंजेक्शन उपलब्ध होते हैं जिन्हें लगाकर मरीज को सर्पदंश से जहर से बचाकर उसका जीवन बचाया जाता है। लेकिन इस समय जिले में एंटीस्नेक बाइट इंजेक्शन का अभाव देखा जा रहा है। जिससे समय पर मरीज का इलाज नहीं होने पर उसकी मौत हो रहीं हैं।
फैक्ट फाइल -
वर्ष २०१८ में करीब ३२ लोगों की सर्पदंश से कारण मौत हो गई।
वर्ष २१८ में अभी तक कुल १५ लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें जून माह में सबसे अधिक ८ लोगों की मौत सर्पदंश से होना बताया गया है।
सर्पदंश से कैसे करें बचाव
- सर्पदंशरू बचने के कारगर उपाय-
बारिश के समय सबसे अधिक सर्पदंश की घटनाएं सामने आती हैं। दरअसल बारिश में सांपों के बामी में पानी भरजाने के कारण वह सूखे स्थानों को तलाशते हैं ऐसे में जंगल व खेतों को छोड़कर वह रहवासी क्षेत्रों की ओर भागते हैं। साथ ही ऐसे स्थान देखते हैं जहां पर वह सुरक्षित बचकर पानी से बचाव कर सकें। और बारिश में लोग सोच भी नहीं पाते कि वह जहां सो रहे हैं खाना खा रहे हैं सूखे हुए कंउे या जलाऊ लकडिय़ां रखी हैं या फिर भूसे की गोदाम में सर्प भी हो सकता है। लेकिन बारिश का पानी चारों ओर होने से वह कुछ इसी तरह के स्थानों पर पहुंच जाते हैं। और जरा सी अनदेखी लोगों को जीवन पर भारी पड़ जाती है।
कई बार लोग विष को शरीर में फैलने से रोकने के लिए रस्सी या कपड़े आदि से दंश स्थल के ऊपर बांध देते हैं। बंधन ढीला होते ही विष के पूरे शरीर में तीव्र रक्त प्रवाह के कारण तेजी से फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। लोगों को चाहिए कि वह रात के समय कहीं भी आने-जाने के दौरान टॉर्च का भरपूर उपयोग करें। जिससे कोई जहरीला सर्प यदि रास्ते में आता है तो उस पर पैर न पड़े और जान सुरक्षित बच सके।
किसानों के लिए यहां मित्रवत होते हैं सांप-
किसान संघ से जुड़े खेती किसानी के जानकार रमेश यादव बताते हैं कि सर्प कभी किसी का कोई नुकसान नहीं करते। अभी तक की जो भी घटनाएं सामने आईं हैं उसमें धोखा ही हुआ है। अनजाने में उनके पास जाने, धोखे से पैर रखने या फिर जहां वह छिपे हों वहां पर हाथ डालने से सर्प ने अपने बचाव में ही वार किया है। किसी सामान्य जाते हुए व्यक्ति को उसका पीछा कर कोई नुकसान कभी भी नहीं पहुंचाते। सर्प किसानों के मित्र जैसे इसलिए होते हैं क्योंकि वह फसल तथा अनाज को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे आदि जीव-जंतुओं से सुरक्षा भी प्रदान करते हैंं।
सभी सर्प नहीं होते जहरीले -
जानकार बताते हैं कि सभी सर्प जहरीले नहीं होते समूचे ब्रम्हाण्ड मे चार तरह के सर्प ही जहरीले होते हैं। जिसमें एलापिड्स कोबरा, किंगकोबरा, करैत, काला मांबा आदि सर्प जहरीले आदि होते हैं। वैपरिड्स में वाइपर, सा स्केल्ड वाईपर, रसेल वाईपर, पिट वाईपर आदि होते हैं। कोलुब्रिड्स किंग स्नेक, बुल स्नेक आदि सर्प बहुत ही खतरनाक होते हैं। चौथी कैटेगरी में हाइड्रोफाइडी समुद्री साँप जहरीले होते हैं। हमारे देश में मुख्यतरूप से चार प्रकार के जहरीले सांप पाए जाते हैं। जिसमें करैत, कोबरा, रसेल, वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर सांप पाए जाते हैं।
ऐसे बढ़ती है सक्रियता -
सर्पों की सक्रियता अप्रैल माह से ही बढऩे लगती है। यह उनका प्रणय और प्रजनन काल भी यही माना जाता है। जो बारिश तक लगातार चलता है। इस अवधि में उपयुक्त सावधानी रखना जरूरी होता है। बताया जाता है कि विशैला कोबरा सर्प के डसने पर प्राथमिक उपचार की विधियां देश, काल की परिस्थितियों पर भी निर्भर रहती हैं। हमारे यहां लगभग 70 फीसदी सर्पदंश की घटनाएं गैर जहरीले सांपों द्वारा ही होती हैं। जहरीले सांपों के डसनेे से भी प्राणघातक घटनाएं लगभग 50 से ६० फीसदी ही होती हैं।
तेजी से फैलने लगता है सर्प का जहर -
जानकार बताते हैं कि सर्प के डसने वाली जगह पर उसमे बांस की पट्टी उसी तरह से बांध दी जाती हैं जैसे किसी के फ्रै क्चर होने पर बांधी जाती है। डसे हुए हिस्से में सपोर्ट करके स्थिर कर देना चाहिए। जिससे जहर एकदम से नहीं फैलता। अक्सर बदहवासी और भागदौड़ की वजह से सर्प का जहर तीव्रता से शरीर में फैल जाता है। जो प्राणघातक साबित होता है। सर्पदंश के बाद सबसे पहले बिना देरी किए मरीज को तुरंत ही अस्पताल ले जाना चाहिए। डॉक्टर को तुरंत ही सभी लक्षण बताना चाहिए। यदि डसने वाला सर्प को मारा गया हो तो उसे भी सटीक पहचान डॉक्टर को बताना चाहिए।
यह दिखाई देते हैं लक्षण -
सर्पदंश के बाद सर्पदंश के स्थान पर त्वचा का रंग लाल हो जाता है, सूजन तथा तीव्र दर्द का अनुभव होने के साथ साँस लेने में कठिनाई होती है, दृष्टि क्षमता में कमी
या धुंधलापन आ जाता है। उल्टी, मुँह से लार और शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने लगता है। साथ ही हाथ-पैरों में झनझनाहट तथा सुन्न होना, प्यास, कमर दर्द, निम्न रक्तचाप, लालिमा या गहरे भूरे रंग का मूत्र त्याग, मूत्र
त्याग में कमी या इसके न आने जैसे संकेत भी देखे जाते हैं। इन लक्षणों के बढ़ते जाने पर मांसपेशियों में भी कमजोरी आती जाती है और होंठ तथा जीभ भी नीले रंग के होने लगते हैं।
नहीं है एंटी स्नेक बाइट की कमी-
जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों का पर्याप्त इलाज किया जा रहा है। एंटी स्नेक बाइट दवाओं की कोई कमी नहीं है। लोग मरीजों को लाने में देरी कर देते हैं जिससे शरीर मे जहर फैलने पर उन्हें बचाया जाना बहुत ही कठिन हो जाता है। लोगों को जागरुकता दिखाना चाहिए। कई लोग झाडफ़ूंक में विश्वास करते हैं जिससे भी मरीज की जान चली जाती है। उसे सीधा जिला अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। जिससे उसे समय पर इलाज मिलने से बचाया जा सके।
डॉ. ममता तिमोरी- यिविल सर्जन
Published on:
18 Jul 2019 10:44 pm
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