हुआ था त्रिकोणात्मक मुकाबला
2014 के चुनाव में भाजपा ने डीजीपी पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर आए हरीश चन्द्र मीना को चुनावी मैदान में उतार दिया था तो कांग्रेस ने मनमोहन सरकार में दो बार केन्द्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता नमोनारायण मीना को चुनाव मैदान में उतारा था। वहीं डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने भाजपा छोड़कर एनपीपी का दामन थाम लिया था। ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव में मुकाबला रोचक हो गया था। तीनों दिग्गज नेता चुनावी मैदान में कूद गए थे और देश के इतिहास में यह सीट हॉट सीट बन कर उभर आई। अंत में इस चुनाव में भाजपा के हरीश चन्द्र मीना एनपीपी प्रत्याशी डॉ. किरोड़ी लाल मीना से 45 हजार 404 वोटों से चुनाव जीत गए। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीना को इस चुनाव में तीसरे पायदान पर रहने पर 1 लाख 81 हजार 272 वोट मिले थे। हालांकि इस चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी थे। उस वक्त 61 प्रतिशत मतदान हुआ था। यह भी पढ़ें :
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भाजपा के टिकट पर पहली बार 2014 में सांसद चुने गए हरीश चन्द्र मीना 2018 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए और टोंक के देवली-उनियारा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ लिया और चुनाव भी जीत लिया। इसके बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में भी हरीश चन्द्र मीना देवली-उनियारा से विधायक चुन लिए गए।
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भाजपा के टिकट पर दौसा लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए हरीश चन्द्र मीना अब 2024 के लोकसभा चुनाव में टोंक-सवाईमाधोर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी है। इसी सीट से उनके बड़े भाई नमोनारायण मीना कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद चुने गए थे। दोनों बार ही वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी बने थे।