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9 साल जेल, टूटी जिंदगी और अब इंसाफ : पत्नी की हत्या में पति बेगुनाह, आईओ पर होगी कार्रवाई

Renu Murder Case: पत्नी की हत्या के आरोप में बेगुनाह पति ने नौ साल जेल की कोठरी में काटे। इस मामले में कोर्ट में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। कोर्ट ने आरोपी को बरी करने और मामले की दोषपूर्ण विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

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In Dehradun, a court has ordered the acquittal of a husband who had been in jail for nine years on charges of murdering his wife

एआई से बनाई गई प्रतीकात्मक फोटो

Renu Murder Case: पुलिस की लापरवाही के चलते एक व्यक्ति को शक के आधार पर नौ साल तक जेल की सलाखों के पीछे रहने को विवश होना पड़ा। ये मामला देहरादून के डोईवाला का है। यहां पर नौ साल पहले रेनू हत्याकांड में उसके पति के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। अभियोजन के मुताबिक, तीन जून 2016 को साहिल ने पत्नी रेनू की घर में चाकू से गला रेतकर हत्या करने के बाद शव को मिस्सरवाला रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था। पुलिस ने साहिल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जहां वह 2016 से ही बंद था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी ने दलील दी कि जिस घर पर हत्या का दावा किया गया, वहां खून का एक भी कतरा नहीं मिला। साथ ही पुलिस ने मौके से फिंगरप्रिंट तक नहीं जुटाए। बचाव पक्ष ने यह भी साबित किया कि पोस्टमार्टम में मौत का समय पुलिस की थ्योरी से मेल नहीं खाता। कोर्ट ने माना कि केवल शक के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायाधीश ने जांच में लापरवाही पर तत्कालीन विवेचक के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश भी दिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कड़ियों को जोड़ने में पूरी तरह विफल रहा।

कोर्ट ने एसएसपी को दिए आदेश

मृतका रेनू के पति साहिल को बेगुनाही साबित करने में नौ साल का वक्त लगा। एक ओर उसकी पत्नी की निर्मम हत्या और दूसरी ओर उसे ही पुलिस ने हत्यारा साबित करने का प्रयास किया। उसे इस हत्याकांड में फर्जी तरीके से फंसाया गया। साहिल ने नौ साल की लंबी लड़ाई के बाद इंसाफ की ये जंग जीती है। ये नाइंसाफी भी पुलिस के चेहरे पर एक कभी न मिटने वाला दाग छोड़ गई है। पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने विवेचक पर कार्रवाई का आदेश एसएसपी देहरादून को दिया है। साक्ष्यों की कमी और जांच में गंभीर खामियों को उठाते हुए पंचम अपर सत्र न्यायाधीश राहुल कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट ने यह फैसला दिया।

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