दरअसल यह तेंदुआ गांव में घुस आया था और बीमारी के चलते कमजोर हो गया था। ग्रामीणों ने उस पर सवारी की थी, उसके साथ फोटो-सेल्फी ली थीं। रामू नाम का वह तेंदुआ अब स्वस्थ हो गया है और उसे दौलतपुर विश्राम गृह से सोमवार दोपहर खिवनी अभयारण्य ले जाकर जंगल में छोड़ा गया।
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इकलेरा गांव में कालीसिंध नदी के किनारे झाड़ियों में ग्रामीणों ने एक तेंदुआ को देखा और बाद में वहां भीड़ लग गई। लोगों की भीड़ लगने के बाद भी जब तेंदुए ने किसी पर हमला नहीं किया तो लोगों ने भी हिम्मत दिखाई और धीरे-धीरे उसके नजदीक पहुंच गए।
पास आने पर भी तेंदुआ चुपचाप बैठा रहा। इसके बाद तो तेंदुआ और ग्रामीणों की मानो दोस्ती हो गई। उसपर हाथ फेरकर प्यार करने लगे, लोग उसके साथ टहलने लगे और यहां तक कि उसके साथ सेल्फी भी ली। बाद में उसे वनविभाग के लोग ले गए।
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दौलतपुर विश्राम गृह में तेंदुआ को पिंजरे में रखा गया और इसका इलाज शुरु किया गया। 29 अगस्त से 18 दिसंबर तक वनकर्मियों व पशु चिकित्सकों ने अपने परिवार के सदस्य की तरह उसकी देखरेख की। इससे तेंदुआ स्वस्थ हो गया तो उसे जंगल में छोड़ देने का फैसला लिया गया। आखिरकार सोमवार को तेंदुआ को छोड़ दिया गया। इस तरह पूरे 4 माह बाद उसे पिंजरे से आजादी मिली।