
सीजेरियन प्रसव के लिए कर रहीं 100 किमी का सफर, क्योंकि कन्नौद में 15 साल से सुविधा नहीं, बागली में भी बंद
देवास. बहू, जरा संभलकर पैर रखना, ज्यादा वजन नहीं उठाना.... गर्भवती महिला को ऐसी हिदायतें घर के बुजुगोZं और यहां तक की डॉक्टर से भी लगातार मिलती रहती हैं। वह भी जानती है कि पेट में पल रही नन्ही सी जान जरा सी लापरवाही से खतरे में आ सकती है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसके समीप के अस्पताल में सीजेरियन प्रसव नहीं हो सकता और इसके लिए उसे 100 किमी दूर जिला अस्पताल जाना होगा तो सफर की मुश्किलों को याद कर उसके दिल पर क्या बीतती होगी। लेकिन हमारे जिले की यही सच्चाई है।
जिले में प्रसूताओं की जान जोखिम में हैं, क्योंकि बागली और कन्नौद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सीजेरियन प्रसव नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर नहीं होने से प्रसूताओं को 100 किमी से ज्यादा का सफर करवाकर इंदौर, देवास और हरदा रैफर किया जाता है। ऐसे में प्रसूताओं और गर्भस्थ शिशु के जीवन की डोर टूटने का खतरा बढ़ जाता है। नियमानुसार कन्नौद और बागली केंद्रों में सीजेरियन प्रसव होना चाहिए, लेकिन दोनों स्थानों पर डॉक्टर और स्टाफ की कमी के चलते सीजेरियन प्रसव बंद हैं।
बागली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र...
कई सालों के बाद फरवरी में हुआ था सीजेरियन, उसके बाद फिर बंदबागली क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इस ब्लॉक में कई गांव आते हैं। जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बागली स्वास्थ्य केंद्र पर ही निर्भर हैं, लेकिन सिर्फ फरवरी में दिखावे के लिए सीजेरियन प्रसव करवाया गया था। इसके बाद से ही यह सुविधा प्रसूताओं को नहीं मिल रही है। फरवरी से पहले कई सालों से यहां सीजेरियन की सुविधा नहीं थी। यहां डॉक्टर की कमी है।
कन्नौद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र...
१५ साल से नहीं हुआ सीजेरियन प्रसव
कन्नौद में सबसे ज्यादा हालात खराब है। यहां बताया जाता है कि करीब १५ सालों से सीजेरियन प्रसव नहीं हुए हैं। यहां संसाधन और ओटी तो हैं, लेकिन बेहोशी के डॉक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। इसके चलते सालों से यहां प्रसव की सुविधा नहीं है। सीजेरियन केस को इंदौर, हरदा और देवास जिला अस्पताल रैफर किया जाता है। देवास आने में करीब १०० किमी से ज्यादा की दूरी प्रसूताओं को तय करना पड़ती है ऐसे में जान को भी खतरा हो सकता है। बीएमओ डॉ. एल मीणा ने बताया कि करीब 15 सालों से सीजेरियन नहीं हुआ है। डॉक्टर व स्टाफ की कमी है।
-ये बड़ा असर...
जिला अस्पताल में 8 से 10 सीजर हो रहे हैं
इन केंद्रों पर सीजर की सुविधा नहीं होने पर जिला अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ जाता है। औसत रूप से जिला अस्पताल में 8 से 10 सीजर होते हैं। जिसमें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों के होते हैं।
कब किया जाता है सीजेरियन प्रसव......
-जब पेट में बच्चे की पोजीशन सही ना हो
-शिशु के गले में नाल उलझ गई हो
-जब नवजात की धडक़न असामान्य हो
-बच्चों को विकास संबंधित समस्या हो
-जुड़वां बच्चे होने की स्थिति में भी सीजेरियन किया जाता है
-पेट में नवजात को ऑक्सीजन की कमी हो रही हो
-पहले सीजर या फिर कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो
-प्री-मैच्योर प्रसव हो
-प्रसूताओं को भी स्वास्थ्य संबंधित बीमारी होने पर सीजेरियन प्रसव कराने की जरूर होती है
फैक्ट फाइल....
-30 से 35 प्रसव प्रतिदिन हो रहे जिला अस्पताल में
-8 से 10 सीजेरियन प्रसव प्रतिदिन होते हैं
-8 हजार 792 प्रसव हुए अप्रैल 2023 से 20 फरवरी 2024 तक।
-6 हजार 243 नार्मल और 2 हजार 549 सीजर (ऑपरेशन) प्रसव हुए।
कन्नौद में डॉक्टर को लेकर समस्या है। इसलिए वहां सीजेरियन प्रसव नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर की व्यवस्था होने पर सीजेरियन शुरू करवाएंगे। वहीं बागली में इमरजेंसी में सीजर नहीं होते हैं। प्लान कर सीजर की सुविधा प्रसूताओं के दी जाती है।
डॉ. विष्णुलता उईके, सीएमएचओ
Published on:
04 Mar 2024 12:57 am
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