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गेहूं के दाने की चमक पड़ी फीकी…जिले में 40 प्रतिशत उत्पादन कम होने की आशंका

दो माह से मौसम परिवर्तन से फसल को ज्यादा नुकसान

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गेहूं के दाने की चमक पड़ी फीकी...जिले में 40 प्रतिशत उत्पादन कम होने की आशंका

गेहूं के दाने की चमक पड़ी फीकी...जिले में 40 प्रतिशत उत्पादन कम होने की आशंका

देवास. हर साल की तरह इस बार भी मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। मप्र की पहचान गेहूं के दाने की चमक इस बार फीकी होती नजर आ रही है, क्योंकि पिछले दो माह में मौसम परिवर्तन ने गेहूं फसल के उत्पादन को गिरा दिया। जैसे जैसे कटाई काम चल रहा है जिले में फसल में नुकसान सामने आ रहा है।जनवरी में धुंध और कोहरे ने फसलों का मिजाज बदल दिया है, जिसके कारण गेहूं में इल्ली का आना सहित अन्य नुकसान हुआ है। पिछले वर्षों की तुलना में गेहूं का उत्पादन देवास जिले में 30 से 40 प्रतिशत तक गिरने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि जिले में अभी कटाई का दौर चल रहा है। पूरी कटाई होने के बाद ही आंकलन सामने आएगा।

बागली क्षेत्र में ज्यादा नुकसान का आंकलन

किसानों ने बताया कि जहां आमतौर पर एक एकड़ में 18 से 20 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है। इस बार उत्पादन 8 से 12 क्विंटल रह गया है। जिले के बागली, हाटपीपलिया, देवास, उदयनगर, कन्नौद क्षेत्र में नवंबर-दिसंबर में मावठे की बारिश भी होती रही। इसके बाद लगातार 15 से 20 दिनों तक धुंध एवं कोहरा का असर रहा। उस समय गेहूं में बालियां आ रही थी। बाली एवं दाने भरने के समय धुंध और कोहरा पड़ता रहा। इससे गेहूं एवं चने फसल में काफी नुकसान हो गया। गेहूं का दाना बारीक रह गया। कई बालियों में दाने नहीं भरे। इस कारण किसानों को उत्पादन काफी काम निकल रहा है।

फसलों का उत्पादन 9 से गिरकर 5 क्विंटल हुआ

देवास के बहादुरसिंह राजपूत, बागली के हुकम पटेल, हाटपिपल्या के केदारमल पाटीदार, उदयनगर के कैलाश शर्मा, कन्नौद के ओमप्रकाश टांडी, खातेगांव के रामनिवास केरेपा ने बताया कि किसान पानी की कमी के कारण 15 अक्टूबर तक बोवानी कर देते हैं, जो जल्दी वैरायटी का पूर्णा और लोकवन गेहूं में काफी नुकसान हुआ। वहीं कन्नौद खातेगांव क्षेत्र में चने की बोवनी अधिक होती है, वहां पर भी इस बार धुंध और कोहरा का असर रहा, जो चना 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ निकलता था वह 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ रह गया।

कई स्थानों पर फसलों पर लगे रोग

जिले में कोहरे धुंधा ने उत्पादन पर असर डाला है। जिले में गेहूं का रकबा तीन लाख हेक्टेयर था। वहीं चने का करीब 80 से 85 हजार हेक्टेयर रकबा था। अलग अलग क्षेत्र अलग अलग नुकसान सामने आई है। कुछ स्थानों पर फसल में बीमारी भी सामने आई है।

उत्पादन घटा है, पूरी कटाई के बाद आंकलन होगा

इस बार मौसम में परिवर्तन से फसलें प्रभावित हुई है। अभी जिले में फसल कटिंग काम चल रहा है। इसके बाद ही आंकड़ा सामने आएगा कि कितना उत्पादन घटा है। अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग स्थिति सामने आ रही है। पूरी कटाई के बाद आंकड़े आएंगे। ज्यादातर स्थानों पर नुकसान हुआ।

आरपी कनेरिया, उप संचालक, कृषि विभाग