
bhongarya haat
गुजरी. प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी ग्राम व निमाड़ क्षेत्र का होली से पूर्व का अंतिम भोंगर्या हाट आज गुरुवार को ग्राम में लगेगा। होली से पूर्व आदिवासी अंचलों में भोंगर्या हाट क्यों लगता है, इसका इतिहास यह है कि प्राचीन समय से ट्राइबल के लोग होली से पूर्व अपनी खेती बाड़ी से फसलों को काटकर फुर्सत में हो जाते थे, वहीं होली से एक सप्ताह पूर्व आदिवासी अंचलों में साप्ताहिक लगने वाले बाजारो में होली की सामग्री बिकने आती थी जिसे भोंगर्या हाट कहा जाता था। गांव की भाषा में आज भी होली से पूर्व लगने वाले बाजारों को त्योहारा बाजार कहा जाता है। धीरे-धीरे बाजारों में झूले भी लगने लग गए जिससे होली से पूर्व आने वाले बाजारों ने मेले का रूप ले लिया। एक ओर आदिवासी समाज में नाचने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी से चली आ रही है तो वर्तमान में भोंगर्या हाटबाजारों में आदिवासी वेशभुषा धारण कर मांदल, ढोल काफी संख्या में लाने लग गए।
पत्रिका से विशेष चर्चा के दौरान आदिवासी समाज के जगदीश वास्केल रिटायर्ड (फौजी) आजाद चौहान, दीपक मोहरे ने बताया कि होली से पूर्व लगने वाले हाटबाजारों को जो भगोरिया पर्व कहा जाता है यह गलत है बल्कि यह एक भोंगर्या हाट है। समाज के बुजुर्ग जानकारों के अनुसार इस हाट में रिश्तेदार मिल जाते थे तो उन्हें खुशी से चाय ना पिलाते हुए पान खिलाते थे जो परंपरा आज तक चली आ रही है। जयस के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र कन्नौज ने बताया कि भोंगर्या हॉट को लेकर समाज में कई प्रकार के भ्रम फैले हुए हैं । वह चाहे आदिवासी समाज की बात हो या गैर आदिवासी समाज की बात हो कोई भी व्यक्ति इसके तह तक जाना नहीं चाहता है। जबकि भोंगर्या हाट होली मनाने की सामग्री खरीदने का हाट है, जिसमें सभी समाज के लोग भी होली त्योहार मनाने की सामग्री खरीदते हैं। इसे कुछ समय पहले तक आदिवासियों के वैलेंटाइन डे , प्रणय पर्व आदि नाम देकर दुष्प्रचारित किया जा रहा था। किंतु पिछले दस बारह वर्षों से समाज के जागरूक कार्यकर्ताओं द्वारा इस दुष्प्रचार के खिलाफ एवं समाज में जागरूकता को लेकर लगातार कार्य किया जा रहा है। पेंपलेट छपवाकर बांटे जा रहे है।
गुजरी में गुरुवार को लगने वाले भोंगर्या हाटबाजार में पर्याप्त पुलिस बल लगाया जाएगा ।
रणजीत मकवाना, बीट प्रभारी
पुलिस को रहना होगा मुस्तैद
बता दें कि ग्राम में गुरुवार को साप्ताहिक लगने वाला हाटबाजार भोंगर्या लगेगा, क्योकि शुक्रवार को धुलेंडी है। इसी दौरान निमाड़ अंचल में लगने वाला अंतिम भोंगर्या हाट ग्राम में लगेगा। यहां प्रतिवर्ष भोंगर्या हाट में कांग्रेस-बीजेपी नेताओं सहित अनुसूचित जाति-जनजाति के कार्यकर्ताओं द्वारा मंच लगाकर मांदल नृत्य वालो को सम्मानित किया जाता है। अंतिम भोंगर्या हाट होने से काफी संख्या में मानपुर, महेश्वर, धार सहित इंदौर तक के लोग पहुंचते है। इसी दौरान डही क्षेत्र में भोंगर्या हाट के दौरान कांग्रेस-बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच जो विवाद हुआ है। उसी को देखते हुए ग्राम में लगने वाले हाट में पुलिस को मुस्तैद रहना पड़ेगा।
Published on:
01 Mar 2018 11:26 am
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