
जानें जीवन में बूरा समय कब-कब शुरू होता है, पहले से मिलने लगते हैं ऐसे संकेत
कहा जाता है कि किसी के जीवन में जब बूरा समय आता है तो वह बता के नहीं आता और इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने किसी आकस्मिक छोटो बड़े संकटों का सामना न किया हो। कभी-कभी तो कुछ लोगों के जीवन में बिन बुलायें संकटों की एक के बाद एक लाईन सी लग जाती है। जानें किसी के जीवन में बूरा समय कब-कब और किन ग्रहों के कारण कैसे आता है।
ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि आज के समय में संसार का हर व्यक्ति अपने जीवन में वर्तमान एवं भविष्य में आने वाले बूरे समय, संकटों या जो बूरा समय चल रहा है उसके बारे में जानने को उत्सुक रहता है। साथ ही व्यक्ति यह भी जानना चाहता है कि उसकी आयु कितनी लंबी होगी या उसकी मौत कब होगी। अपनी मृत्यु का भय तो कहीं न कहीं प्रत्येक व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में समाया होता है और यही कारण है कि वह भगवान से प्रार्थना करते वक्त भी यही कहता है कि हे भगवान रक्षा करना या दीर्घायु प्रदान करना। ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की जन्म कुंडली को देखकर उनके वर्तमान, भविष्य की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
ये ग्रह होते हैं संकटों और बूरे समय के कारक
पं. अरविंद तिवारी के अनुसार, जब भी राहू, शनि और केतु किसी के जीवन में यानी गोचर में, राशि में प्रवेश करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में अचानक बूरा समय प्रारंभ हो जाता है। इस कारण व्यक्ति पर एक के बाद एक संकट भी आने लगते हैं।
बूरे समय और संकटों के संकेत पहले ही मिलने लगते हैं
अगर किसी का बूरा समय शुरू होने वाला हो उसका संकेत भी पहले ही मिलने लगते हैं- जैसे घर परिवार कोई जानवर हो तो अचानक उनका स्वास्थ खराब होने लगता, घर के बड़े बुजुर्गों की तबीयत खराब होने लगती है और अचानक खर्च बढ़ने लगता है। अगर इस तरह के संकेत किसी को मिलते हैं तो उनके परिवार में कोई बूरा वक्त या कोई संकट आ सकता है।
संकटों की पूर्व जानकारी
पं. अरविंद तिवारी ने बताया कि मनुष्य के संकटों की पूर्व जानकारी और उनसे बचने के उपाय और आयु का निर्णय करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के प्रकाण्ड कई विद्वानों ने अनेक ग्रंथों की रचना भी की है। कई विद्वानों ने तो गहन शोध करके आयु के संबंध में अपने मत भी प्रस्तुत किए, लेकिन जैमिनी सूत्र की तत्वदर्शन टीका में मनुष्य के संकटों और आयु को लेकर सर्वाधिक स्पष्ट, सटीक और सर्वमान्य तथ्य मिलते हैं। महर्षि पाराशर द्वारा रचित एक सूत्र से आयु निर्णय की स्थिति स्पष्ट होती है-
बालारिष्ट योगारिष्टमल्यं मध्यंच दीर्घकम्।
दिव्यं चैवामितं चैवं सप्तधायुः प्रकीर्तितम्।।
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Updated on:
20 Nov 2019 11:22 am
Published on:
20 Nov 2019 11:06 am
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