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इन चमत्कारी सूर्य मंत्रों का जाप दिलाता है धन वैभव पद और प्रतिष्ठा, छठ पूजा में इस आरती से विशेष आशीर्वाद

भगवान सूर्य आत्मा के कारक हैं। भारतीय ज्योतिष के अनुसार इनकी पूजा अर्चना और कुंडली में सूर्य के मजबूत होने से धन वैभव, पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इसके लिए सूर्य के ये मंत्र काफी सहायक होते हैं। अब सूर्य पूजा का पर्व सूर्य षष्ठी 19 नवंबर को है तो जानें छठ पूजा में किन मंत्रों और सूर्य आरती से भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करें।

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Pravin Pandey

Nov 18, 2023

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चमत्कारी सूर्य मंत्र और आरती

ये हैं प्रमुख सूर्य मंत्र
1. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
2. ॐ सूर्याय नम:।
3. ॐ घृणि सूर्याय नम:।
4. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
6. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
7. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।

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सूर्यदेव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं, प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।