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Chhath Puja: मुंगेर के इस मंदिर में माता सीता ने की थी छठ पूजा, तब श्रीराम को मिली थी इस पाप से मुक्ति

Chhath Puja छठ का पर्व तो सब मनाते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा का पर्व सबसे पहले मां सीता ने कहां क्या किया था।

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Chhath Puja

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Chhath Puja: छठ पूजा का पर्व बिहार-यूपी सहित कई राज्यों में मनाया जाता है। इस लोक आस्था के महापर्व छठ का बिहार के मुंगेर जिला से खास संबंध माना जाता है। इस पर्व को लेकर कई लोक कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसे ही छठ पूजा से जुड़ी एक धार्मिक कथा भी प्रचलित है जो माता सीता से जुड़ी है। तो आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की कथा..

छठ पूजा (Chhath Puja)

छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाये जाने वाला एक आस्था का पर्व है। दिवाली के 6 दिनों बाद ही छठ पूजा की शुरूआत हो जाती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने छठ पूजा व्रत रखकर सूर्यदेव को अर्ध्य दिया था। आइए जानते हैं छठ पूजा का इतिहास और छठ पूजा की शुरुआत की कहानी..

इस मंदिर में सीता माता ने की थी छठ की पूजा (Chhath puja mata Sita Mandir)

एक कथा के अनुसार माना जाता है कि माता सीता ने यहां छठ व्रत कर इस पर्व की शुरूआत की थी। आनंद रामायण के अनुसार मुंगेर जिले के बबुआ गंगा घाट से करीब 3 किलोमीटर दूर गंगा नदी  के बीच में स्थित पर्वत पर ऋषि मुदगल का आश्रम स्थित है। जहां पर पहली बार मां सीता ने छठ का व्रत किया। यह स्थान वर्तमान में सीता माता चरण मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

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माता सीता ने ऋषि मुद्गल के आश्रम में किया था वास (Mata Sita Nivas)

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि माता सीता को छठ का व्रत करने की बात ऋषि मुद्गल ने ही कही थी। इसके साथ ही आनंद रामायण के अनुसार भगवान श्री राम द्वारा रावण का वध किया गया था। इसलिए श्री राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। इस ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए अयोध्या के कुलगुरू मुनि वशिष्ठ ने मुगदलपुरी में ऋषि मुद्गल के पास श्री राम और सीता को भेजा था। भगवान श्री राम को ऋषि मुद्गल ने वर्तमान कष्टहरणी घाट में ब्रह्महत्या मुक्ति यज्ञ करवाया और माता सीता को अपने आश्रम में ही रहने का आदेश दिया था। मान्यता थी कि महिलाएं यज्ञ में भाग नहीं ले सकती। इसलिए माता सीता ने ऋषि मुद्गल के आश्रम में रहकर ही उनके आदेश का पालन करते हुए छठ व्रत किया।

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मंदिर के गर्भ गृह में माता सीता के पैरों के निशान मौजूद (Mata Sita Footprints)

ऐसा कहा जाता है कि आज भी मुंगेर के मंदिर में माता सीता के पैरों के निशान मौजूद हैं। इस मंदिर का गर्भ गृह साल के 6 महीने गंगा के गर्भ में समाया रहता है। जबकि गंगा का जल स्तर घटने पर 6 महीने ऊपर रहता है। इसलिए भक्तगणों द्वारा माता सीता के चरण की पूजा की जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस मंदिर के प्रांगण में छठ करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। लोग यहां दूर-दूर से पूजा करने के लिए आते हैं। 

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।