
शारदीय नवरात्र में सर्व कामना पूर्ति
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ रविवार 29 सितंबर 2019 को रहा है। नवरात्र के नौ दिनों तक श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सभी तरह की कामनाओं की पूर्ति होने लगती है। श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ भी चारों वेदों की तरह ही अनादि ग्रंथ माना जाता है। जिसमें माँ दुर्गा के अद्भूत चरित्र का की गाथा गाई गई है। अगर नौ दिनों तक श्रद्धा पूर्वक शुद्ध चित्त होकर इन नियमों का पालन करते हुए श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले के भीषण से भीषण संकट भी माँ दुर्गा दूर कर देती है।
श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कुल सात सौ श्लोक है, तीन भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से ती चरित्रों का वर्णन हैं। प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्यायों को उत्तम चरित्र में रखे गये हैं।
इन नियमों के साथ करें श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ
1- सबसे पहले, गणेश पूजन, कलश पूजन,,नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें । श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ को शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।
2- माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिये 4 बार आचमन करें। श्री दुर्गा सप्तशति के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ से पहले शापोद्धार करना ज़रूरी है।
3- दुर्गा सप्तशति का हर मंत्र, ब्रह्मा,वशिष्ठ,विश्वामित्र ने शापित किया है। शापोद्धार के बिना, पाठ का फल नहीं मिलता।
4- एक दिन में पूरा पाठ न कर सकें, तो एक दिन केवल मध्यम चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें। दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन में अगर पाठ न हो सके, तो एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें।
5- श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय। श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नवारण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है।
6- संस्कृत में श्रीदुर्गा सप्तशती न पढ़ पायें तो हिंदी में करें पाठ। श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें लेकिन जो़र से न पढ़ें और उतावले न हों।
7- पाठ नित्य के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य है । श्रीदुर्गा सप्तशति का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिये। दुर्गा सप्तशति के- पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना ज़रुर करना चाहिये।
8- श्रीदुर्गा सप्तशती के प्रथम,मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से, सभी मनोकामना पूरी होती है। इसे महाविद्या क्रम कहते हैं।
9- दुर्गा सप्तशती के उत्तर,प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार पाठ करने से, शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसे महातंत्री क्रम कहते हैं।
10- देवी पुराण में प्रातकाल पूजन और प्रात में विसर्जन करने को कहा गया है। रात्रि में घट स्थापना वर्जित है।
*********
Published on:
26 Sept 2019 12:18 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
