5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विजय पर्व में इस प्रकार की गई शस्त्र पूजा, बना देगी आपको अजेय

विजयदशमी : अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि...  

3 min read
Google source verification
dushera 2020 celebration in india : 25 october 2020

dushera 2020 celebration in india : 25 october 2020

वर्ष 2020 यानि इस साल विजयदशमी का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। विजयदशमी यानि दशहरा का पर्व हर साल देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, क्या आप जानते हैं कि इस दिन को कई जगहों पर आयुधपूजा या शस्त्र पूजा के नाम से भी जाना जाता है। जैसे तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसे आयुध पुजाई के नाम से अस्त्र-शस्त्र का पूजन किया जाता है। इसके अलावा केरल, उड़ीसा, कर्नाटक राज्यों में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में आयुध पूजा को खंडे नवमी के रूप में मनाया जाता है। यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश अन्य जगहों पर शस्त्र पूजन के रूप में जाना जाता है।

हर कोई इस पर्व का इंतजार बेसब्री से करता है, हर बार यह पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसे में कई लोगों के मन में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक बात है कि जब यह दशहरे का दिन है तो इस दिन शस्त्र पूजा क्यों की जाती है। तो ऐसे में आज इस दौरान की जाने वाली शस्त्र पूजा के कारण के बारे में बता रहे है। दरअसल शस्त्र पूजा नवरात्रि का एक अभिन्न अंग माना जाता है, इस दिन सभी अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की परंपरा है। भारत में नवरात्रि के अंतिम दिन अस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

विजयादशमी को ही क्यों किया जाता है शस्त्र पूजन?
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार विजय के प्रतीक दशहरा वाले दिन हर तरफ अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसका शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है। इतना ही नहीं ये भी माना गया है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा अवश्य की जानी चाहिए। दशहरा क्षत्रियों का बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं।

शस्त्र व शास्त्र की पूजा
शस्त्र पूजन के महत्व की बात करें तो दशहरे के दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं, जबकि इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करता है। वहीं जो लोग व्यापारी हैं वो अपने प्रतिष्ठान आदि का पूजन करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है, उसमें जीवनभर निराशा नहीं मिलती यानि वह काम हमेशा ही शुभ फल देता है। शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, जानकारों के अनुसार शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा है। प्राचीन समय में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए इस दिन का ही चुनाव करते थे। उनका मानना था कि दशहरा पर शुरू किए गए युद्ध में विजय निश्चित होगी।

शस्त्र पूजन विधि
ऐसे में हर कोई यह भी जानना चाहता है कि आखिर विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन की सही विधि क्या होती है? इस संबंध में जानकारों का कहना है कि इसके लिए सबसे पहले घर पर जितने भी शस्त्र हैं, उन पर पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें। शस्त्रों को पवित्र करने के बाद उन पर हल्दी या कुमकुम से टीका लगाएं और फल-फूल अर्पित करें। वहीं एक बात का ध्यान अवश्य रखें कि शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

पूजन में रखें ये सावधानी...
: शस्त्र पूजन के दौरान कुछ बातों की सावधानी जरूर रखें, क्योंकि हथियार के प्रति जरा-सी लापरवाही बड़ी भूल साबित हो सकती है।
: ध्यान रहे कि घर में रखे अस्त्र-शस्त्र को अपने बच्चों व नाबालिगों की पहुंच से दूर रखें। क्योंकि कई बार लोग पूजन के दौरान ये बातें भूल जाते हैं ऐसे में बड़ी दुर्घटना हो जाती है।
: हथियार को खिलौना समझने की भूल करने वालों के दुर्घटना के शिकार होने के कई मामले सामने आ चुके हैं।
: सबसे अहम यही है कि पूजा के दौरान बच्चों को हथियार न छूने दें और किसी भी तरह का प्रोत्साहन बच्चों को न मिले।