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गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

locationभोपालPublished: Dec 07, 2019 05:48:44 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

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8 दिसंबर दिन रविवार को गीता जयंती का पर्व है। मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हो भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान कुल 700 श्लोकों के माध्यम से अर्जुन को दिया था। 700 श्लोकों में से केवल इन 9 श्लोको का पाठ नित्य करने से किभी व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 1

योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

अर्थात- हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 2

नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।

अर्थात- योगरहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावनारहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 3

विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।
निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।

अर्थात- जो मनुष्य सभी इच्छाओं व कामनाओं को त्याग कर ममता रहित और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही शांति प्राप्त होती है।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 4

न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यश: कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणै:।।

अर्थात- कोई भी मनुष्य क्षण भर भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता। सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं और प्रकृति अपने अनुसार हर प्राणी से कर्म करवाती है और उसके परिणाम भी देती है।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 5

नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण:।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्धयेदकर्मण:।।

अर्थात- तू शास्त्रों में बताए गए अपने धर्म के अनुसार कर्म कर, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से तेरा शरीर निर्वाह भी नहीं सिद्ध होगा।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 6

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।

अर्थात- श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, सामान्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जिस कर्म को करता है, उसी को आदर्श मानकर लोग उसका अनुसरण करते हैं।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य
श्लोक- 7

न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्म संगिनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्त: समाचरन्।।

अर्थात- ज्ञानी पुरुष को चाहिए कि कर्मों में आसक्ति वाले अज्ञानियों की बुद्धि में भ्रम अर्थात कर्मों में अश्रद्धा उत्पन्न न करे किंतु स्वयं परमात्मा के स्वरूप में स्थित हुआ और सब कर्मों को अच्छी प्रकार करता हुआ उनसे भी वैसे ही करावे।
गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 8

ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।

अर्थात- हे अर्जुन। जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।

गीता के कुल 700 श्लोकों में से केवल ये 9 श्लोक बदल सकते हैं हर किसी का भाग्य

श्लोक- 9

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।

अर्थात- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन। कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।

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