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Gita Gyan: श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों दिया था गीता का ज्ञान? यहां जानिए

Gita Gyan:अर्जुन शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत योद्धा थे। वे न्यायप्रिय, संवेदनशील और अपने धर्म के प्रति निष्ठावान थे। अर्जुन में आदर्श शिष्य के गुण और गूढ़ ज्ञान समझने की क्षमता थी।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Nov 23, 2024

Gita Gyan

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Gita Gyan: महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसका आज भी जिक्र किया जाता है। जो लोग गीता के उपदेशों का अध्यन करते हैं। उनको संसारिक जीवन के सुख-दुख और हानि-लाभ प्रभावित नहीं करते हैं। मान्यता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदला जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान अर्जुन को ही क्यों दिया था? आइए जानते हैं।

अर्जुन की दुविधा (Arjuna's dilemma)

अर्जुन महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक था। उसके सामने कर्तव्य और भावनाओं के बीच संघर्ष था। अर्जुन जब अपने ही संबंधियों, गुरुओं और मित्रों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए खड़ा हुआ तो वह मानसिक रूप से दुविधा में फंस गया। उनकी इस दुविधा ने उन्हें गहन ज्ञान के लिए योग्य बनाया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इसलिए चुना क्योंकि उनका आंतरिक संघर्ष आम मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं और सवालों का प्रतिबिंब था।

श्रीकृष्ण के प्रति अर्जुन का शिष्य भाव (Arjun's disciple attitude towards Shri Krishna)

गीता का ज्ञान केवल एक ऐसा व्यक्ति ग्रहण कर सकता है। जो पूर्ण संपूर्ण श्रद्धाभाव के साथ अपने गुरू की बात पर अमल कर सके और उसका पालन कर सके। अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपना शिष्य भाव प्रकट किया और उनसे मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की। मान्यता है कि किसी भी शिष्य के लिए यह गुण होना अति आवश्यक हैं। क्योंकि यही विनम्रता गुरु और शिष्य का आदर्श संबंध मानी जाती है।

धर्म और कर्तव्य का प्रतीक (symbol of religion and duty)

अर्जुन धर्म और कर्तव्य के प्रतीक माने जाते हैं। वे धर्मयुद्ध करने के लिए बाध्य थे। लेकिन मोहवश वह अपने कर्तव्य पथ से भटक रहे थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से उन्हें बताया कि किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करना ही मनुष्य का परम लक्ष्य है।

सामूहिक संदेश का माध्यम (mass communication medium)

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में उपदेश इसलिए दिया था कि गीता उपदेश का ज्ञान संसार के हर व्यक्ति तक पहुंच सके। अर्जुन को माध्यम बनाकर उन्होंने जीवन के गूढ़ रहस्यों और भगवद् दर्शन को संसार के सामने पेश किया था। अर्जुन का युद्धभूमि में मोह और भ्रम हर मनुष्य के जीवन में आने वाली चुनौतियों और मानसिक संघर्षों का प्रतीक है।

धार्मिक मान्यता है कि अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय मित्र और शिष्य थे। जो बाद में मानव जीवन के सवालों और संघर्षों का प्रतीक थे। गीता का ज्ञान केवल अर्जुन के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए था। इससे यह सीख मिलती है कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, अपने धर्म और कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए।

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