
क्या है हर छठ
हल छठ को हर छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की कुशलता और लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इसके अलावा इसी दिन किसान बलराम जयंती मनाते हैं। दरअसल, भाद्रपद कृष्णपक्ष षष्ठी के दिन ही बलराम का अवतार हुआ था। इनका प्रिय अस्त्र हल ही था। किसान के लिए हल और बैल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए वे बलराम जयंती के दिन व्रत रखकर हल, बैल और हलधर बलराम की पूजा करते हैं। यह बलराम जयंती 5 सितंबर को आज ही है।
कैसे मनाते हैं हर षष्ठी
जो महिलाएं हर छठ व्रत रखती हैं, वे इस दिन हल से जुती हुई सामग्री अर्थात अनाज नहीं खा सकतीं और न ही गाय का दूध अथवा घी खा सकती हैं। उस दिन उन्हें केवल वृक्ष पर लगे खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति होती है। इसके लिए वे महुआ और एक विशेष प्रकार का लाल रंग का धान (जिसे पसई का धान कहते हैं, जो तालाबों आदि में बिना जुताई के पैदा होता है और पूजा पाठ में ही इस्तेमाल होता है) आदि खा सकती हैं।
खास बात यह है कि आमतौर पर आपने देखा होगा व्रत में गाय के दूध, घी आदि की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस व्रत में गाय के गोबर तक के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। इसकी जगह भैंस के दूध, घी, गोबर आदि की जरूरत पड़ती है।
हर छठ पूजन सामग्रीः हर छठ की पूजा के लिए भैंस का दूध, घी, दही गोबर और महुआ का फल, फूल, पत्ता की जरूरत होती है। इसके अलावा ज्वार की धानी, ऐपन, मिट्टी के कुल्हड़ और देवली छेवली (बांस और महुए के पत्ते से बना पात्र) की जरूरत पड़ती है।
ऐपन बनाने की विधि : पूजा के चावल को पानी में भीगा कर रखा जाता हैं, फिर उसे सिल बट्टे पर पीस कर उसमे हल्दी मिलाई जाती हैं। एक लेप की तरह यह घोल तैयार होता हैं, तो इसे ऐपन कहते हैं।
हर षष्ठी पूजा विधि
1. प्रातः काल उठकर महुए की टहनी से दांत साफ करें।
2. शुभ मुहूर्त में भैंस के गोबर से पूजा घर में घर की दीवार पर हर छठ माता का चित्र बनाएं और ऐपन से श्रृंगार करें।
3. इस चित्र में हल, सप्त ऋषि, पशु ,किसान आदि होते हैं और कई परिवार हाथों के छापे बनाकर पूजा करते हैं।
4. पूजा के लिए पाटे पर कलश सजाया जाता है और गणेशजी और माता गौरा को स्थापित किया जाता हैं।
5. साथ ही कुल्हड़ में ज्वार की धानी, महुआ का फल भरा जाता है।
6. एक मटकी में देवली छेवली को रखा जाता है।
7. सबसे पहले कलश की पूजा कर गणेश जी और माता गौरा की पूजा करते हैं, फिर हर छठ माता की।
8. इसके बाद कुल्हड़ और मटकी की पूजा करते हैं।
9. पूजा के बाद हर छठ की कथा पढ़ी जाती है और माता की आरती करते हैं।
10. आरती के बाद वहीं बैठकर महुए के पत्ते पर महुए का फल रख कर उसे भैंस के दूध से बनी दही के साथ खाते हैं।
11. पूजा के बाद व्रत पूरा करने के लिए भोजन में पसई धान के चावल और भेंस के दूध से बनी वस्तुएं खाते हैं।
हर छठ पूजा कथा
हर छठ की कथा के अनुसार एक ग्वालिन थी, वो दूध दही बेचकर अपना जीवन निर्वाह करती थी। एक समय जब वह गर्भवती थी, दूध बेचने गई। उसी वक्त उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, इस पर वो पास के ही एक पेड़ के नीचे बैठ गई और पुत्र को जन्म दिया। इधर, दूध खराब न हो इसके लिए वह अपने बेटे को पेड़ के नीचे सुलाकर गांव में चली गई। इस दिन हर छठ व्रत था, सभी को भैंस के दूध की जरूरत थी। यह देखकर ग्वालिन ने अपने गाय के दूध को भैंस का बताकर बेंच दिया। इससे हर छठ माता क्रोधित हो गईं और उसके पुत्र के प्राण हर लिए। जब ग्वालिन आई उसे अपनी करनी पर बहुत दुख हुआ और उसने गांव में जाकर सभी के सामने अपने गुनाह को स्वीकार किया।
सभी से पैर पकड़कर क्षमा मांगा, उसके इस तरह रोते बिलखते देख उसे सभी ने माफ कर दिया, जिससे हर छठ माता प्रसन्न हो गईं और उसका पुत्र जीवित हो गया। तब ही से पुत्र की लंबी उम्र के लिए हर छठ माता का व्रत रखा जाता है और पूजा की जाती है। मान्यता है कि बच्चा पैदा होने से छह माह तक छठी माता ही बच्चे की देखभाल करती हैं। इसलिए बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी पूजा भी की जाती हैं। हर छठ माता को बच्चों की रक्षा करने वाली माता भी कहा जाता है।
Updated on:
05 Sept 2023 02:17 pm
Published on:
05 Sept 2023 01:38 pm
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