
यहां होता था गणेश जी का रक्त (खून) से अभिषेक, आज खून की जगह इस चीज से होता है अभिषेक
अभी गणेश उत्सव का पर्व चल रहा है, जो 2 सितंबर से शुरू होकर 12 सितंबर 2019 तक चलेगा। इस दौरान भगवान गणेश जी के अनेक रूपों की अलग-अलग स्थानों पर वहां की परम्परा के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी एक प्राचीन कथानुसार भारत में एक स्थान ऐसा भी है जहां सदियों पहले भगवान गणेश जी के भक्त उनका अभिषेक अपने रक्त (खून) से करते थे और गणपति प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं तुरंत पूरी भी करते थे। जानें पूरा रहस्य।
वैदिक ग्रंथों एवं पुराणों में कलयुग के बारे उल्लेख आता है कि कलयुग काल में दो ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की थोड़ी सी पूजा अर्चना से भी प्रसन्न हो जाते हैं। एक तो है प्रथम पूजनीय श्रीगणेश एवं दूसरे है महाबली श्री हनुमान जी। ये दोनों ही की पूजा में अगर अंजाने में कोई गलतियां हो भी जाएं तो कभी अपने भक्तों से नाराज नहीं होते।
भगवान श्रीगणेश के बारे में कहा जाता है कि गणेश जी ऐसे देवता है जिनकी पूजा चाहे सात्विक, तामसिक, मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण या फिर मोक्ष की साधना हो सबसे पहले की जाती है। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश की प्रथम पूजा करने से किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलकर ही रहती है।
इस जगह होता था गणेश का रक्त खून से अभिषेक
प्राचीन गणेश पुराण के अनुसार सदियों पहले भारत की आर्येतर जातियों में भगवान श्री गणेश की स्थाई ग्राम देवता के रूप में पूजा आराधना की जाती एवं गणेश भक्त अपने रक्त (खून) से अपने देवता का अभिषेक करते थे। आर्येतर जाति के लोग अपनी इच्छित मनोकामना पूरी होने की कामना के से एवं कामना पूरी होने पर दोबार अपने रक्त से गणेश जी का अभिषेक करते थे।
बाद में जब आर्येतर जाति आर्य देवमंडल में सम्मिलित हो गई तो उसके बाद रक्त (खून) की जगह प्रतिक रूप में सिन्दूर से अभिषेक किया जाने लगा और तभी से गणपति को सिंदूर चढ़ाने की परम्परा प्रारंभ हो गई। कहते हैं आज भी जब भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के भाव से गणेश जी का सिंदूर से अभिषेक करते हैं तो उनकी सभी कामनाएं गणेश जी पूरी कर देते हैं।
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Published on:
03 Sept 2019 05:12 pm
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