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Hindu festivals 2021 : हिंदी कैलेंडर का अगहन माह हुआ शुरु, जानें इस माह के पर्व, त्यौहार और व्रत

इसे मार्गशीर्ष माह भी कहा जाता है।

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हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह के बाद शनिवार, 20 नवंबर से हिंदी कैलेंडर के अगहन माह की शुरुआत हो गई। इसे मार्गशीर्ष माह भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस महीने में सुख-समृद्धि के लिए शंख व लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार रविवार के दिन सूर्य को जल चढ़ाने से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति भी मिलती है।

इस संबंध में पंडित रामजीवन दुबे का कहना है कि इस महीने किए गए स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है। अगहन महीना भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय होने से इस महीने यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में रहता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा गया है।

मार्गशीर्ष माह के पर्व व त्यौहार
- 23 नवंबर गणेश चतुर्थी व्रत
- 27 नवंबर, शनिवार को कालभैरव अष्टमी
- 30 नवंबर उत्पन्ना एकादशी
- 04 दिसंबर, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से इस दिन पितरों के लिए तर्पण
- 07 दिसंबर, विनायकी चतुर्थी
- 08 दिसंबर, श्रीराम और सीता के विवाह उत्सव
- 14 दिसंबर,मोक्षदा एकादशी
- 18 दिसंबर, दत्त पूर्णिमा, दत्तात्रेय जयंती

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सूर्यपूजा का महत्व
अगहन महीने में भगवान सूर्य की पूजा का भी विशेष फल है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस महीने में रविवार को उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने से हर तरह के दोष और पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसा करने से कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ फल में कमी आती है।

शंख पूजा की परंपरा
इस महीने में शंख पूजा करने की परंपरा है। अगहन महीने में किसी भी शंख को श्रीकृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर उसकी पूजा की जाती है। इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।

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साथ ही इस महीने देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा करना चाहिए

काल भैरव जयंती 27 को
इस बार काल भैरव जयंती शनिवार, 27 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में काल भैरव मठ मिलेट्री स्टेशन रोड नेवरी लालघाटी में काल भैरव जयंती महोत्सव 26 से 28 नवम्बर तक मनाया जाएगा। इस मौके पर मठ में अनेक आयोजन होंगे।

वहीं 26 नवम्बर को शाम को भगवान काल भैरव की शाही पालकी यात्रा निकाली जाएगी। इसी प्रकार 27 नवम्बर को काल भैरव का महाअभिषेक, शृंगार, पूजा, अनिष्ठ निवारण, विजयम देही हवन, महाआरती होगी और पायस भोग लगाया जाएगा। इसी प्रकार 28 नवम्बर को महाआरती और विजयम देही हवन होगा।