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Holi 2023: होली के दिन बन रहे बेहद खास शुभ मुहूर्त, इस समय हर काम में मिलेगी सफलता

रंगों का त्योहार होली 2023 (Holi 2023) करीब है, पूर्णिमा को होली पूजा 2023 और होलिका दहन 2023 के बाद अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंगों की होली खेली जाएगी और देश का कोना-कोना रंग-गुलाल-अबीर से रंग जाएगा। इस दिन लोगों के घरों में तरह-तरह के पकवान बनेंगे और जश्न मनेगा। इन खुशियों में चार चांद लगाने के लिए होली 2023 यानी चार मार्च (Holi 2023) के दिन कुछ बेहद खास शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इन शुभ समयों में किया गया हर काम सफल होगा तो आइये जानते हैं होली के दिन बन रहे शुभ मुहूर्त (auspicious time on Holi) के बारे में...

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Pravin Pandey

Mar 04, 2023

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holi ke din shubh muhurt

होली शुभ मुहूर्तः बता दें कि हिंदू धर्म मानने वाले लोग फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन करते हैं और इसी दिन होली पूजा भी की जाती है। अगले दिन देशभर में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन होली खेली जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं। इस दिन पारंपरिक व्यंजन गुझिया बनाने की भी रिवायत है। इस साल होली 2023 के दिन तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जिनमें से दो शुभ मुहूर्त बेहद खास हैं। इनमें से एक है विजय मुहूर्त और दूसरा अमृतकाल मुहूर्त।

होली की तिथिः पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि की शुरुआत सात मार्च 6.10 पीएम से हो रही है और यह तिथि आठ मार्च 7.43 पीएम पर संपन्न हो रही है। इस तरह आठ मार्च को रंगों का त्योहार होली 2023 मनाया जाएगा।

विजय मुहूर्तः पंचांग के अनुसार होली के दिन आठ मार्च को 2.30 पीएम से 3.17 पीएम तक विजय मुहूर्त बन रहा है। इस अवधि में किया गया हर काम सफल होता है। विशेष तौर पर इस मुहूर्त में मंगल कार्य और मुकदमा दायर करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि विजय मुहूर्त में किए जाने वाले इन कार्यों में विजय मिलती है।

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अमृतकाल मुहूर्तः होली के दिन आठ मार्च को रात 8.33 पीएम से 10.17 पीएम तक अमृतकाल मुहूर्त बन रहा है (हालांकि प्रतिपदा तिथि इससे पहले संपन्न हो जा रही है)। यह मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है इस योग में शुरू किए गए सारे काम पूरे होते हैं। मांगलिक कार्यों के लिए इस शुभ मुहूर्त को पहले स्थान पर रखा गया है।


ब्रह्म मुहूर्तः आठ मार्च को 5.10 एएम से 5.58 एएम तक ब्रह्म मुहूर्त है। प्राचीन काल में इस समय को ऋषि मुनि सर्वोत्तम मानते थे। उनके अनुसार यह ध्यान लगाने और भगवान की पूजा का सबसे उपयुक्त समय था और इस मुहूर्त में पूजा का फल जल्दी मिलता था। मान्यता है कि इस समय देवता और पितर घरों में आते हैं और उन्नति होती है। इस समय किया जाने वाला हर मांगलिक कार्य शुभ फल देता है।