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Karwa chouth: मासिक धर्म में ऐसे करें करवा चौथ व्रत का पालन, जानिये क्या कहते हैं शास्त्र

- ऐसे करें मासिक धर्म के दौरान करवा चौथ व्रत का पालन, शास्त्रों में नहीं है इसकी मनाही

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Deepesh Tiwari

Oct 13, 2022

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हिंदू व सनातन धर्म के अनुसार मानव जीवन को कल्याण के लिए कई व्रत बताए गए हैं। इन अनेकों व्रतों में स्त्रियों केे लिए बुहत व्रत बताए गए हैं। धर्म के अनुसार इन व्रतों में धार्मिक नियम, संयम और पवित्र आचरण का अत्यधिक महत्व बताया गया है। बताया गया है की हर व्रत को पूरे नियमानुसार और पवित्रता के साथ करना चाहिए। लेकिन कई बार कुछ ऐसी परिस्थितयां स्त्रियों के जीवन (karwa chouth pooja on periods) में आ पड़ती है जिनको लेकर मनुष्य सोच में पड़ जाता है।

प्राकृतिक रुप से आई इन परिस्थितियों के कारण वे व्रत का पालन निरंतरता से नहीं कर पाती हैं। महिलाओं के साथ आने वाली इन परिस्थियों में से एक है उनका मासिक धर्म(periods) का होना। मासिक धर्म के दौरान किसी विशेष व्रत का पड़ने पर कई महिलाओं के मन में धर्म दोष की स्थिति बनी रहती है। इन महत्वपूर्ण व विशेष व्रतों में प्रदोष व्रत, तीजा व्रत, चतुर्थी व्रत और हर स्त्रि के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत करवा चौथ (karwa chouth Vrat) का व्रत के समय सबसे ज्यादा धर्म संकट होता है।

करवा चौथ का व्रत सालभर में एक बार आता है और इसकी मान्यता पति के लंबी आयु से जुड़ी हुई है। इसलिए महिलाओं में इस महत्वपूर्ण व्रत को लेकर डर बना रहता है की कही व्रत में कोई गलती या खंडित ना हो जाए। महिलाएं विशेष मनोकानाओं की पूर्ति करने के लिए कई व्रत रखती है, उसके बावजूद भी उनके मन में इस तरह की दुविधाएं बनी रहती है की कहीं व्रत के पालन में कुछ गड़बड़ ना हो जाए। आइए जानते हैं महावारी (how Can you to do karwa chouth pooja during periods) के दौरान महिलाओं को व्रत को कैसे पूरा किया जाना चाहिए...

ऐसे पूजा करें करवा चौथ
पंडित रमाकांत मिश्रा जी बताते हैं की आप मासिक धर्म के दौरान बिना किसी शंका के व्रत रख सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार कहीं भी व्रत करने पर प्रतिबंध नहीं है। लेकिन औप इस दिन करवा चौथ की कथा किसी और द्वारा सुन सकते हैं। ध्यान रहे की आप कथा की किताब को सपर्श नहीं कर सकती अर्थात आप दूर से कथा को सुन सकती हैं। आप भगवान की पूजा और उपासना में शामिल नहीं हो सकती हैं। यह नियम मासिक धर्म में पड़ने वासे सभी विशेष व्रतों में पालन किए जा सकते हैं। सोलह सोमवार आदि संकल्प व्रतों में व्यवहार में अपनाए। इससे व्रत भंग का दोष नहीं लगता और व्रत धर्म का पालन भी हो जाता है।

इसी के साथ यदि व्रत के दिन ही आपका मासिक धर्म शुरु हो जाता है तो भी आप इन्हीं नियमों का पालन कर सकती हैं। दूसरा संशय यह कि अगर व्रत के दिन ही स्त्री रजस्वला हो जाए। तो आप देवकार्य और पूजा से अलग हो जाएं, किंतु व्रत रख सकते हैं।