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रविवार के दिन सूर्यदेव को ऐसे करें प्रसन्न, जानिये ज्योतिष में सूर्य के योग

वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव के महिमा का वर्णन...

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Deepesh Tiwari

Apr 04, 2020

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आदि पंच देवों में से एक व कलयुग के एक मात्र दृश्य देव भगवान सूर्य को ज्योतिष में सभी ग्रहों के राजा माना जाता हैं। सनातनधर्मावलंबियों में रविवार सूर्यदेव का वार माना गया है, यानि ये सूर्य देव को समर्पित दिन है। वहीं ज्योतिष में ही सूर्य को आपके मान सम्मान व नौकरी में प्रशासन का कारक माना जाता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार रविवार के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, सूर्य के निमित्त दान-पुण्य करने से बड़े से बड़ा अशुभ भी आसानी से टल जाता है।
वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव के महिमा का वर्णन मिलता है। पुराणों में सूर्यदेव की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।

सूर्य का महत्व...
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है।

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यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। वहीं सूर्य कुंडली में मुख्यरूप से बुध से योग कर बुधादित्य योग का निर्माण करता है।

सूर्यदेव : भाग्य में राजयोग का निर्माण...
मान्यता है कि रविवार को सूर्यदेव की विशेष आराधना करने से व्‍यक्ति के भाग्य में राजयोग का निर्माण होता है। इस दिन सुबह स्नान आदि कर तांबे के लोटे से सूर्यदेव को गायत्री मंत्र पढ़ते हुए जल चढ़ाने से हर परेशानी दूर होने लगती है।

पंडित शर्मा के अनुसार यदि कोई नौकरी में प्रमोशन या फिर गंभीर बीमारी से निजात पाना चाहते हैं, तो रविवार को भगवान सूर्यदेव को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे मनोकामना पूरी हो सकती है। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो यदि आपके जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह नीच के राशि तुला में है तो अशुभ फल से बचने के लिए हर दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए।

किसी का कुंडली अशुभ ग्रहों जैसे शनि, राहु-केतु आदि के प्रभाव में है तो वैसे व्यक्ति को भी नियमपूर्वक सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान :
शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके और शाम के समय पश्चिम की ओर मुख करके सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय गिरने वाले जल वज्र बनकर रोग का विनाश करते हैं।

सूर्योदय के समय सूर्यदेव को सिर के ऊपर तांबा का पात्र में जल लेकर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करते समय अपनी दृष्टि जलधारा के बीच में रखें, ताकि जल से छनकर सूर्य की किरणें आंखों के बीच में पड़े, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।

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कुंडली में सूर्य की स्थिति:
ज्योतिषचार्यों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो रविवार को सूर्य के लिए विशेष उपाय करना चाहिए। रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके बाद धूप, दीप से पूजन करें।

रविवार के दिन फलाहार व्रत रहें। सिर्फ एक ही समय फलाहार खाएं। रविवार के दिन सूर्योदय के समय जगें और अपने नित्य कामों को करके भगवान सूर्य भगवान को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, फूल डालकर अर्ध्य करें। रविवार के दिन सूर्य से संबंधित चीजें जैसे कि लाल या पीले रंग के कपड़े, अन्न, गुड, माणिक्य, लाल चंदन आदि दें।

घर से कलह-धन हानि दूर करने के उपाय :
घर में धन की हानि हो रही है या घर में कलह का वातावरण है? ये सब आग्नेय कोण के की वजह से हो सकता है। बिना तोड़ फोड़ के आग्नेय कोण के उपाय के संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि...

1. यदि आपकी रसोई या बिजली का मीटर आग्नेय में न हो और यहां कोई अन्य गंभीर दोष हो तो इस दिशा में लाल रंग का बल्ब या सरसों के तेल एक दीपक अग्नि देवता के सम्मान में चालीस दिन कम से कम एक प्रहर (तीन घंटे) तक अवश्य जलाए।

2. यदि आग्नेय दूषित है तो मंगल देवता व शुक्र देव के निमित्त दान, जाप तथा मंगल यन्त्र, शुक्र यंत्र की आराधना, हनुमद आराधना से शांति व लाभ मिलता है।

3. विघ्नहर्ता विनायक की तस्वीर या मूर्ति रखने से भी उक्त दोष दूर होता है।

4. प्रत्येक शुक्रवार को ब्राह्मण को दही, चीनी, चावल व श्वेत वस्त्र का दान करें।

5. गाय को रोटी पर देसी घी लगाकर गुड़ के साथ अवश्य दें।

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यह हैं उपाय...
1. रविवार को सुबह घर से किसी काम के लिए निकलने से पहले गाय को रोटी दें। संभव हो तो रविवार के दिन गाय की पूजा करें।
2. रविवार के दिन एक पात्र में जल लेकर उसमें कुमकुम डालकर बरगद के वृक्ष पर चढ़ाएं।
रविवार के दिन सुबह घर से निकलने से पहले घर के सभी सदस्य अपने माथे पर चन्दन तिलक लगाएं।
3. मछलियों को आटे की गोली बनाकर रविवार के दिन खिलाएं।
4. चींटियों को खोपरे व शक्कर का बूरा मिलाकर खिलाएं।
5. शुद्ध कस्तूरी को चमकीले पीले कपड़े में लपेटकर रविवार के दिन अपनी तिजोरी में रखें।
इन उपायों को पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है।
7. व्रत कर एक समय का भोजन बिना नमक का करें।

ऐसे करें सूर्य देव को प्रसन्न :
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करे इसके बाद पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पवित्र मन से नीचें दिए हुए सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह मंत्र 'राष्ट्रवर्द्धन' सूक्त से लिए गए है। साथ ही अपने माथें में लाल चंदन से तिलक लगाए।

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ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।

आप चाहें तो इस दूसरे मंत्र का जाप कर सकते है।

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम् रूपं हि मण्डलमृचोथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।

या फिर इस मंत्र का जाप करें-

'उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।


यह भी हैं सूर्य देव को खुश करने के उपाय :
1. रविवार के दिन बरगद(बड़) के पत्ते पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
2. रविवार के दिन धन संबंधी कार्य न करें, इससे घर में दरिद्रता आती है।
3. रविवार के दिन सुर्यदेव को जल अवश्य चढ़ाऐं तथा सुर्य उपासना करें।

4. रविवार के दिन गरीब, असहाय, रोगी व किन्नरों की सहायता अवश्य करें।
5. रविवार के दिन काली हल्दी की एक गांठ शुभ मुहूर्त में प्राप्त कर अपने घर में, व्यवसायी अपने कैश बॉक्स में तथा व्यापारी अपने गल्ले में रखें, कार्य में सफलता मिलेगी।
6. आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।

सूर्य का वैदिक मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।

सूर्य का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।

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श्री सूर्यदेव की पूजन विधि
सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का उपयोग करें। लाल चंदन और लाल फूल की व्यवस्था रखें। एक दीपक लें। लोटे में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन का पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक और लोटा रख लें।

अब 'ऊँ सूर्याय नम: मंत्र' का जप करते हुए सूर्य को प्रणाम करें। लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ प्रदान करना कहलाता है। 'ऊँ सूर्याय नम: अर्घं समर्पयामि' कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें। अर्घ समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें।

जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अर्घ समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं। कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। सूर्य देव की आरती करें। सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।

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सूर्य उपासना से होती है रोग मुक्ति
भारत के सनातन धर्म में पांच देवों की आराधना का महत्व है। आदित्य (सूर्य), गणनाथ (गणेशजी), देवी (दुर्गा), रुद्र (शिव) और केशव (विष्णु)। इन पांचों देवों की पूजा सब कार्य में की जाती है। इनमें सूर्य ही ऐसे देव हैं जिनका दर्शन प्रत्यक्ष होता रहा है। सूर्य के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक रोगों से निवारण मिलता है। शास्त्रों में भी सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है।

सूर्य को दिए जाने वाले अघ्र्य के प्रकार
अघ्र्य दो प्रकार से दिया जाता है। संभव हो तो जलाशय अथवा नदी के जल में खड़े होकर अंजली अथवा तांबे के पात्र में जल भरकर अपने मस्तिष्क से ऊपर ले जाकर स्वयं के सामने की ओर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। वहीं दूसरी विधि में अघ्र्य कहीं से भी दिया जा सकता है। नदी या जलाशय हो, यह आवश्यक नहीं है।

इसमें एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें चंदन, चावल तथा फूल (यदि लाल हो तो उत्तम है अन्यथा कोई भी रंग का फूल) लेकर प्रथम विधि में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार अघ्र्य चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया गया जल पैरों के नीचे न आए, इसके लिए तांबे अथवा कांसे की थाली रख लें। थाली में जो जल एकत्र हो, उसे माथे पर, हृदय पर और दोनों बाहों पर लगाएं। विशेष कष्ट होने पर सूर्य के सम्मुख बैठकर 'आदित्य हृदय स्तोत्र' या 'सूर्याष्टक' का पाठ करें। सूर्य के सम्मुख बैठना संभव न हो तो घर के अंदर ही पूर्व दिशा में मुख कर यह पाठ कर लें। इसके अलावा निरोग व्यक्ति भी सूर्य उपासना द्वारा रोगों के आक्रमण से बच सकता है।

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