
जानिए महादेव के कालभैरव अवतार की कहानी।
Kal Bhairav Avtar Katha: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। धर्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने कालभैरव के रूप में अवतार लिया था। इस बार काल भैरवाष्टमी 22 नवंबर 2024 मंगलवार को मनाया जाएगा। भगवान शिव ने भैरव अवतार क्यों लिया जानिए पूरी कहनी ?
धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार अधर्म का नाश करने के लिए लिया था। काल भैरव का अवतार लेने की कथा का संबंध ब्रह्मा, विष्णु, और शिव से जुड़ा हुआ है। एक बार सभी देवताओं के बीच यह चर्चा चल रही थी। इस चर्चा में पूछा गया कि त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ कौन है। तब ब्रह्मा जी ने स्वयं को सबसे श्रेष्ठ बताया और भगवान शिव के प्रति कुछ अपमानजनक शब्द कहे। इससे भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए।
मन्यता है कि भगवान शिव के क्रोध का परिणाम काल भैरव के रूप में प्रकट हुआ। भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख से एक भयंकर और प्रचंड रूप धारण किया। जो पूरे ब्रह्माण्ड में काल भैरव के नाम से जाना गया। इस अवतार का उद्देश्य ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट करना था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार काल भैरव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा जी के पांच में से एक सिर को काट दिया। ऐसा करने से ब्रह्मा जी का अहंकार नष्ट हो गया। लेकिन इस कृत्य के कारण काल भैरव को ब्रह्म हत्या का पाप लग गया।
ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव को काशी नगरी की यात्रा करनी पड़ी। काशी में प्रवेश करते ही उन्हें इस पाप से मुक्ति मिल गई। तभी से काशी को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाने लगा। इसलिए काल भैरव को काशी का कोतवाल भी माना जाता है। माना जाता है कि काशी में प्रवेश करने से पहले काल भैरव के दर्शन करने चाहिए। अन्यथा काशी यात्रा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।
काल भैरव का अवतार न केवल ब्रह्मा जी के अहंकार को समाप्त करने के लिए था। बल्कि इसका एक और रहस्यमयी कथा है। काल भैरव को समय और मृत्यु के देवता के रूप में भी माना जाता है। वे अपने भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकटों को दूर करते हैं और भय मुक्त करते हैं। काल भैरव के भक्तों का विश्वास है कि वे अपने अनुयायियों की रक्षा करते हैं।
काल भैरव की पूजा तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। वे अष्ट भैरवों में सबसे प्रमुख हैं और उनका एक विशेष स्थान है। उन्हें विशेष रूप से अर्धरात्रि में पूजा जाता है। उनकी आराधना से शत्रुओं का नाश, बुरी शक्तियों से रक्षा, और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
Published on:
18 Nov 2024 01:35 pm
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