
Kalawa Bandhne ke Niyam
Kalawa Bandhne ke Niyam: कलावा जिसे मौली के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है। क्योंकि यह पूजा-पाठ के दौरान हाथ में बांधा जाता है। मान्यता है कि यह बहुत ही पवित्र धागा होता है। कलावा मुख्य रूप से लाल, पीले रंग के धागे से बना होता है। इसे देवताओं की कृपा, सुरक्षा, और शुभता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
धार्मिक महत्व- कलावा सनातन धर्म का एक पवित्र धागा होता है। यह भगवान का आशीर्वाद पाने का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा में बांधा जाता है।
सुरक्षा कवच- धार्मिक मान्यता है कि कलावा जिस व्यक्ति के हाथ में बंधा होता है। उस पर नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर का असर नहीं होता। साथ ही यह आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ता है। इसके अलावा व्यक्ति के धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कारों की पहचान भी कराता है।
पांच तत्वों का प्रतीक- कलावे में मौजूद रंग पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) के प्रतीक माना जाता है।
किस हाथ में पहने कलावा- पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को दाएँ हाथ में कलावा बांधना शुभ माना जाता है। वहीं विवाहित महिलाओं को बाएँ हाथ में बांधना चाहिए।
सही विधि- कलावा बांधते समय मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे कि "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ विष्णवे नमः"।
व्रत और पूजा में- कलावा मुख्य रूप से पूजा, व्रत और धार्मिक कथाओं या किसी यज्ञ के दौरान बांधा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि कलावा बांधने के बाद अशुभ और अशुद्ध कार्यों करने से बचना चाहिए। इसके अलावा इसे साफ और सूखा रखने का प्रयास करें। टूटे या गंदे कलावे को फिर से न बांधें।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
16 Dec 2024 09:00 am
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
