
यहा जानिए कुंभ और महाकुंभ में अंतर?
Kumbh and Mahakumbh Difference: कुंभ और महाकुंभ सनातन धर्म के विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक मेले हैं। यह दोनों मेले धार्मिक आस्था के बड़े प्रतीक भी है। इन दोनों में काफी समानताएं हैं। लेकिन दोनों मेलों कुंभ और महाकुंभ में कुछ मुख्य अंतर भी हैं। आइए जानते हैं दोनों में क्या अंतर है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था। उस अमृत कलश से कुछ अमृत की बूंद 4 स्थानों (उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज) पर गिर गई। इसके बाद इन चार जगहों को पवित्र स्थान का दर्जा दिया गया। मान्यता है कि इस कथा से प्रेरित होकर भक्तों ने कुंभ मेले का आयोजन किया। यह मेला प्रत्येक तीन वर्षों में इन पवित्र चार स्थलों - उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है।
कुंभ प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 साल के बराबर होते हैं। यहीं कारण है कि किसी एक स्थान पर पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है। इसके बीच-बीच में 6 वर्षों के अंतराल पर अर्धकुंभ भी होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाकुंभ मेले का आयोजन 12 पूर्णकुंभ मेलों के बाद होता है। इसका मतलब है कि 144 वर्ष बाद महाकुंभ का आयोजन होता है। मान्यता है कि महाकुंभ मेले का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व कुंभ मेले से कई गुना ज्यादा शुभ और विशेष फलदाई होता है।
महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इसमें दुनियाभर से श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं। यह आयोजन अपनी भव्यता और प्राचीन परंपराओं को सर्वोच्च रूप में प्रदर्शित करता है। ऐसा कहा जाता है कि हर महाकुंभ, कुंभ होता है, लेकिन हर कुंभ, महाकुंभ नहीं होता। महाकुंभ को समय और महत्व के आधार पर विशेष स्थान दिया गया है।
Published on:
22 Nov 2024 12:03 pm
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