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कूर्म जयंतीः आज वैशाख पूर्णिमा है, मान्यता है कि आज ही के दिन सागर मंथन के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। इसलिए आज भारत में कूर्म जयंती मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु के कच्छप स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है।
कूर्म अवतार की कथाः धार्मिक कथाओं के अनुसार एक वक्त पर देवताओं का अहंकार चरम पर पहुंच गया था। इसी को लेकर इंद्रदेव ने ऋषि दुर्वासा के भेंट किए हुए परिजात पुष्पों की माला को देवराज ने फेंक दिया, जिसे उनके वाहन एरावत ने कुचल दिया। इसकी जानकारी पर पल-पल में क्रुद्ध होने वाले ऋषि दुर्वासा ने देवताओं को श्रीहीन होने का शाप दे दिया। लेकिन क्षमा याचना पर कहा कि इसका रास्ता खोजने पर उन्हें मिल जाएगा।
इधर, ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण लक्ष्मीजी सागर में लुप्त हो गईं, पूरी सृष्टि से सुख समृद्धि और वैभव का लोप हो गया। देवता अशक्त भी हो गए। इससे दुखी इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। उन्होंने इसके लिए असुरों से मिलकर सागर मंथन का सुझाव दिया। किसी तरह देवताओं ने असुरों को सागर मंथन के लिए तैयार किया।
सागर मंथन के लिए मदराचल पर्वत को मथानी बनाया गया और वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया। जब देवताओं और दानवों ने मदराचल पर्वत को सागर में मथना शुरू किया तो वो समुद्र में डूबने लगा। इस पर भगवान विष्णु ने कूर्म (कच्छप) का अवतार धारण किया और मदराचल पर्वत को पीठ पर रख लिया।
इसके बाद मथानी घूमना शुरू हुई और सागर को मथने की प्रक्रिया शुरू हो पाई। भगवान विष्णु के कारण सागर मंथन जैसा कार्य पूरा हुआ। कूर्म अवतार की यह घटना वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी। इसलिए इस दिन कूर्म जयंती मनाई जाने लगी।
Updated on:
05 May 2023 09:09 pm
Published on:
05 May 2023 09:07 pm
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