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जिनालय निर्माण में होता पुण्य से प्राप्त लक्ष्मी का सदुपयोग 

 शंखेश्वर पार्श्वनाथ ट्रस्ट मंडल की ओर से सोलस-2 भवन में शंखेश्वर पार्श्वनाथ परमात्मा, गौतम स्वामी, नाकोड़ा भैरव देव जिनालय का शिलान्यास हर्षोल्लास से किया गया। आचार्य अरिहंत सागर के सान्निय में शुभ मुहूर्त में शिला का विधि-विधान हुआ। आचार्य ने धर्मसभा में कहा कि जब बहुत पुण्यबल एकत्रित होता है, तब पुण्य से प्राप्त लक्ष्मी […]

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 शंखेश्वर पार्श्वनाथ ट्रस्ट मंडल की ओर से सोलस-2 भवन में शंखेश्वर पार्श्वनाथ परमात्मा, गौतम स्वामी, नाकोड़ा भैरव देव जिनालय का शिलान्यास हर्षोल्लास से किया गया। आचार्य अरिहंत सागर के सान्निय में शुभ मुहूर्त में शिला का विधि-विधान हुआ। आचार्य ने धर्मसभा में कहा कि जब बहुत पुण्यबल एकत्रित होता है, तब पुण्य से प्राप्त लक्ष्मी का सदुपयोग जिनालय निर्माण में होता है। जिस प्रकार कछुआ विघ्न आने पर अपने पूरे शरीर को संकुचित कर अपने ही कवच में कवर कर लेता है, ठीक उसी प्रकार जिनालय की नींव में बहुमूल्य धातुओं से बनी कछुए की प्रतिकृति मुख्य शिला पर रखने से जिनालय निर्माण में आने वाले विघ्न टल जाते हैं।

ट्रस्ट के कार्यकारिणी सदस्य कुशलराज गुलेच्छा ने बताया कि छह माह के समय में मंदिर का काम पूरा करने की योजना है। ट्रस्ट के कार्यकारिणी सदस्य किशोर जैन ने बताया कि यह मंदिर शंखेश्वर की तर्ज पर बिना लाइट वाला होगा। ट्रस्ट के कार्यकारिणी सदस्य अशोक नागोरी, राजू सुजानी ने भी विचार व्यक्त किए । स्नात्र पूजा, दशदिगपाल, नवग्रह, अष्टमंगल पूजन और शिलान्यास का विधि विधान रोहित गुरु ने करवाए। शिल्पकार चेतनभाई सोमपुरा के निर्देशन में मंदिर का निर्माण होगा। ट्रस्ट के कार्यकारिणी सदस्य महावीर मेहता ने स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।इस मौके पर चिकपेट संघ के अध्यक्ष गौतम सोलंकी, तेजराज मालानी, शांतिलाल नागोरी, तेजराज गुलेच्छा, बाबूलाल मेहता, विमल गांग, महावीर जैन, भरत रांका, उत्तम गुलेच्छा, मनोहर भंडारी, कुमारपाल सिसोदिया, संघ के प्रवक्ता ललित डाकलिया आदि मौजूद थे।