
कार्तिक माह के अंतिम चार दिन का महत्व
भगवान विष्णु को समर्पित स्नान-दान के पवित्र माह कार्तिक के 4 दिन ही शेष रह गए हैं। इसका समापन 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर होगा। पूरे माह 30 दिन तक कार्तिक स्नान और व्रत का पालन नहीं कर पाने वाले भक्तों के लिए देवउठनी एकादशी के बाद द्वादशी, त्रयोदशी, बैकुंठ चतुर्दशी एवं कार्तिक पूर्णिमा खास दिन हैं।
इन तिथियों पर किए जाने वाले स्नान-दान, दीपदान से अक्षय पुण्य और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिषाचार्य डॉ.हुकुमचंद जैन ने बताया कि कार्तिक व्रत का 12 वर्ष का संकल्प होता है। इस पूरे महीने में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व माना गया है।
इन तिथियों में है पूजन का विशेष महत्व
द्वादशी पूजन : कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर भगवान दामोदर और गो-माता का पूजन करना चाहिए। जल से भरे हुए घड़े में सुपारी, स्वर्ण-रजत धातु डालकर दान करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
त्रयोदशी पूजन : इस दिन सुबह उठकर प्रदोष काल में स्नान करना चाहिए। 32 दीपक प्रज्ज्वलित कर भगवान शिव का पंचाक्षर स्त्रोत से अभिषेक और मौन व्रत धारण करने से माता गौरी प्रसन्न होती हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी : कार्तिक शुक्ल पक्ष की बैकुंठ चतुर्दशी पर अरुणोदय काल में भगवान विश्वनाथ का पूजन करें। इस दिन हरि और हर का मिलन होता है।
कार्तिक पूर्णिमा : कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन कर प्रदोष काल में दीपदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Updated on:
24 Nov 2023 03:28 pm
Published on:
24 Nov 2023 03:27 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
