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Holi 2024: त्योहार से पहले यहां चिता की भस्म से खेली जाती है अनोखी होली

Masan Ki Holi 2024 आज देशभर में होली खेली जा रही है, पूरे देश में रंग गुलाल उड़ रहे हैं। लेकिन वाराणसी की एक होली इन सबसे अलग है, यहां होली से कुछ दिन पहले श्मशान में होली खेली जाती है और महादेव की पूजा की जाती है। लेकिन यहां रंग गुलाल की जगह चिता की राख उड़ती है। आइये जानते हैं वाराणसी की मसान की होली के बारे में..

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Pravin Pandey

Mar 25, 2024

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वाराणसी में चिता की भस्म से खेली जाती है अनोखी होली


Masan Ki Holi 2024: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वाराणसी भगवान शिव की नगरी है। यहां मसान की होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है। एक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने यमराज को हराने के बाद यहां चिता की राख से होली खेली जाती थी, तभी से इस दिन मणिकर्णिकाघाट पर मसान होली खेली जाने लगी। इससे पहले विश्वनाथ की पालकी निकलती है, जिसमें पूरा शहर शामिल होता है।


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प्राचीन कथा के अनुसार प्राचीनकाल में फाल्गुन शुक्ल एकादशी यानी रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर वाराणसी आते हैं। इस दिन बारात में शामिल देवता होली खेलते हैं, लेकिन किसी कारण महादेव के गण भूत पिशाच होली नहीं खेल पाते।

इसके बाद दूसरे दिन महादेव अपने औघड़ रूप में श्मशान लौटते हैं और मणिकर्णिका घाट पर स्नान के बाद जलती चिताओं की राख से गणों के साथ होली खेलते हैं। इसलिए हर साल फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर बाबा विश्वनाथ की पालकी निकलती है और लोग उनके साथ रंग खेलते हैं। बाद में अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म से होली खेली जाती है।


मान्यता है कि मसाननाथ रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद द्वादशी को खुद भक्तों के साथ होली खेलते हैं। इस समय का दृश्य अनूठा होता है, जगह- जगह लोगों को ठंडई पिलाई जाती है और पान खिलाया जाता है। डमरु के नाद और हर हर महादेव के जयकारों की गूंज से सारा शहर सराबोर हो जाता है। लोग औघड़दानी की लीला भी करते हैं।