
8 दिसंबर 2019 : जैन धर्म का मंगलकारी विशेष पर्व मौनी एकादशी (मगसिर सुदी ग्यारस)
8 दिसंबर दिन रविवार को मौन एकादशी तिथि है। जैन दर्शन में एक बहुत शुभ व मंगलकारी पर्व जिसे मौन एकादशी (मौन ग्यारस) कहते हैं। यह पर्व मार्गशीर्ष माह (मगसर माह) इस एकादशी को मौन व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसे कर्म क्षय करने का यह मुख्य दिन माना जाता है। इस दिन जैन उपाश्रय, स्थानकों आदि पर विशेष धर्म आराधनाएं होती हैं। इस दिन व्रत रखकर धार्मिक क्रियाएं करने पर 150 गुणा अधिक पुण्यफल एवं इस दिन पाप कर्म करने से पाप का फल भी 150 गुणा ज्यादा मिलता है। भी १५० गुणा होगा।
मौनी एकादशी (मगसिर सुदी) के दिन, जैन धर्म के श्रद्धालु मौन धारण के साथ पौषध व्रत, 12 लोगस्स का कायोत्सर्ग, 12 खमासणा, 12 स्वास्तिक, जप पद अर्थात इस मंत्र की 20 नवकारवाली जप करते हैं।
।।ॐ ह्रीं श्रीं मल्लिनाथ सर्वज्ञनाय नमः।।
मौनी एकादशी (मगसिर सुदी) कथा
एक समय श्री नेमिनाथ भगवान द्वारिका नगरी में पधारे। जब कृष्णवासुदेव ने प्रभु के आगमन के समाचार सुने तो वे उनके दर्शनार्थ हेतु उनके समवसरण में गए। उनकी धर्म देशना सुनने के बाद कृष्ण ने उन्हें वंदन नमन किया व उनसे प्रश्न किया- हे प्रभु, राजा होने के नाते राज्य की बहुत सारे कर्तव्यों के चलते मैं किस प्रकार अपनी धार्मिक क्रियायों को आगे तक करता रहूं? कृपया मुझे पुरे वर्ष में कोई एक ऐसा दिन बताएं जब कोई कम प्रत्याख्यान व्रतादि के बाद भी अधिकतम फल को प्राप्त कर सके?
यह सुनकर श्री नेमिनाथ बोले- हे कृष्ण, यदि तुम्हारी इस प्रकार की इच्छा है तो तुम मगसर माह के ग्यारहवें दिन (मगसर सुदी ग्यारस) को इस दिन से जुडी सभी धार्मिक क्रियाओं को पूर्ण करो। प्रभु ने इस दिन की विशेषतायें भी समझाईं। तभी से जैन धर्म में इस मंगलकारी विशेष पर्व मौनी एकादशी (मगसिर सुदी ग्यारस) मनाई जानें लगी। इसी दिन जैन धर्म के 18वें तीर्थंकर श्री अरनाथ भगवान ने सांसारिक जीवन त्यागकर दीक्षा अंगीकार कर साधूत्व अपनाया। इसी दिन जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ भगवान का जन्म हुआ, संसार त्यागकर दीक्षा अंगीकार की व केवल ज्ञान प्राप्त किया। इसी दिन जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान ने ज्ञान प्राप्त किया।
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Published on:
04 Dec 2019 04:09 pm
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