कब है अष्टमी तिथि (Ashtami 2024 date)
पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि 15 अप्रैल को रात 12.11 बजे से शुरू होगी और यह तिथि 16 अप्रैल मंगलवार को रात 01.23 बजे संपन्न होगी। उदया तिथि में 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत और कन्या पूजन होगा।कन्या पूजन शुभ मुहूर्त (Ashtami kanya pujan shubh muhurt 2024)
पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि अष्टमी को कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त हैं। आइये जानते हैं..
कन्या पूजन मुहूर्तः सुबह 7.51 बजे से सुबह 10.41 बजे तक
दूसरा शुभ मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त): सुबह 11.55 बजे से दोपहर 12.47 बजे तक
अष्टमी पर धन प्राप्ति के उपाय
मान्यता के अनुसार अष्टमी पर कटोरी में चांदी का एक सिक्का रखकर मां गौरी को अर्पित करें। इसके बाद मां गौरी से धन प्रदान करने की प्रार्थना करें। फिर सिक्के को धोकर अपने पास रख लें। मान्यता है इससे धन प्राप्ति, बचत और घर में धन दौलत में वृद्धि होगी। साथ ही इस दिन सुहाग की लंबी उम्र के लिए मां को चुनरी भेंट करनी चाहिए। माता महागौरी का प्रिय भोग नारियल है, बाद में इसे ब्राह्मण को दे देना चाहिए या प्रसाद के रूप में बांट देना चाहिए।मां गौरी की पूजा विधि (maa gauri puja chaitra navratri)
- वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार माता महागौरी की पूजा के समय गुलाबी या पीले वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद स्नान ध्यान और स्वच्छ वस्त्र पहनकर मां की पूजा का संकल्प लें और मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- मां के सामने दीपक जलाएं और ध्यान करें
- मां को सफेद और पीले फूल अर्पित करें। सफेद वस्त्र, रोली, कुमकुम अर्पित करें।
- मिष्ठान, पंचमेवा, मिठाई, नारियल, नारियल से बनी मिठाई चढ़ाएं।
- पूजन में मां के मंत्रों का जाप करें, आरती करें।
- इसके बाद देवी को चने और हलवा का भोग लगाएं। पूरी, फल और मिष्ठान चढ़ाएं।
- कन्या पूजन करें।
अष्टमी पर कन्या पूजन की विधि (kanya pujan Ashtami 2024)
- चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर कन्या पूजन से एक दिन पहले ही उनके घर जाकर निमंत्रण देना चाहिए (आप 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित कर सकते हैं)
- कन्याओं के आने पर परिवार के साथ उनका स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं।
- फिर इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाएं, सभी के पैरों को थाल में रखकर अपने हाथों से उनके पैर स्वच्छ पानी से धोएं।
- कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
- आप इन्हें हलवा, चना, पूरी और मिठाई खिलाएं, भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।