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Navratri Mantra: सभी 9 स्वरूपों को प्रिय हैं ये मंत्र, नवरात्रि में जाप मां दुर्गा को करता है प्रसन्न

Navratri Mantra: नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना और पूजा का उत्सव है। इसमें माता दुर्गा के सभी 9 स्वरूप की पूजा की जाती है। इन सभी स्वरूपों के अलग-अलग मंत्र हैं, जिससे माता आसानी से प्रसन्न हो जाती हैं। आइये जानते हैं मां आदिशक्ति के सभी 9 स्वरूपों के प्रिय मंत्र कौन-कौन से हैं।

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Pravin Pandey

Apr 11, 2024

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चैत्र नवरात्रि में सभी 9 स्वरूप के मंत्र


चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हुई है, यह मां दुर्गा पूजा का उत्सव 17 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान मां के नौ स्वरूपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। आइये जानते हैं सभी 9 स्वरूप के मंत्र, प्रार्थना और स्तुति मंत्र क्या हैं..


1. ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥


वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥


दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. सरल मंत्र : ॐ एं ह्रीं क्लीं


पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।


3. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है।


1. ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥


सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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1. ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥


सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥


चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥


एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. ॐ देवी महागौर्यै नमः॥


श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


1. ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥


सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो न