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Paush Amavasya 2021 : इस बार पौष अमावस्या पर शुभ संयोग, जानें पूजन विधि और महत्व

पौष अमावस्या 2021 है बेहद खास...

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Paush Amavasya 2021 celebrated on 12-13 january 2021

Paush Amavasya 2021 celebrated on 12-13 january 2021

पौष मास को धर्म ग्रंथों में पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। इस महीने में दान धर्म का अपना ही महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं, और इसका धार्मिक मान्यता के अनुसार बड़ा महत्व है, या यूं कहें पौष मास की अमावस्या का तो अपना एक अलग ही स्थान है। क्योंकि कई धार्मिक कार्य अमावस्या पर किये जाते हैं।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। पौष मास की यह अमावस्या 2021 में मंगलवार 12 जनवरी से लग रही है और 13 जनवरी की दोपहर तक पौष अमावस्या का प्रभाव बना रहेगा।

साल 2021 की पहली अमावस्या पौष अमावस्या है जो एक बेहद शुभ संयोग में उपस्थित हुआ है। इस दिन मंगलवार होने से यह भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। ऐसे में यह पितृ दोष और मंगल के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने वाला भी माना जा रहा है।

शास्त्रों में पौष अमावस्या के दिन पितृ शांति करने का विधान बताया गया है। भौमवती अमावस्या हो जाने से पौष महीने की यह अमावस्या और भी उत्तम फलदायी हो गई है।

भौमवती के संयोग में पौष मास की अमावस्या को सूर्य देव की पूजा के बाद पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें अंजुली में जल लेकर तिल सहित अर्पित करने से पितर जहां भी जिस लोक में होते हैं संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं जिससे जीवन में चल रही कई समस्याओं का अंत होता है। संतान सुख का योग भी इससे प्रबल होता है। भौमवती अमावस्या होने की वजह से इस दिन हनुमानजी और मंगलदेव की पूजा करना भी शुभ रहेगा।

साल 2021 की पहली अमावस्या 12 जनवरी, मंगलवार को है। ये पौष अमावस्या है, पौष माह इस दिन समाप्त होता है। अमावस्या तिथि 12 जनवरी, मंगलवार दोपहर 12:22 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और 13 जनवरी, बुधवार सुबह 10:29 बजे पर इसका समापन होगा।

पौष अमावस्या समय मुहूर्त :
अमावस्या आरम्भ : जनवरी 12, 2021 को 12:22:29 से
अमावस्या समाप्त : जनवरी 13, 2021 को 10:29:38 तक
पौष अमावस्या पितृ पूजन समय 12 जनवरी, दिन में 12 बजकर 37 मिनट बाद
पौष अमावस्या स्नान दान समय 13 जनवरी, सुबह 10 बजकर 29 मिनट तक

हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है।


पौष अमावस्या पर करें ये उपाय :

: हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
: दोपहर के समय पितरों के नाम से तिल जल से पितरों का पूजन करें।
: पीपल का पूजन करें और सात परिक्रमा करें।
: जरूरतमंदों को भोजन और धन का दान दें।
: लाल रंग की गाय को मीठी रोटी खिलाएं।

पौष अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म...
पौष का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। पौष मास की अमावस्या पर किये जाने वाले व्रत और धार्मिक कर्म ये हैं।

1. पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। अत: इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
2. तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
3. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
4. जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित है। उन्हें पौष अमावस्य का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
5. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
6. मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।