
चंद्रमा की पूजा
भोपाल. हर महीने आने वाली आने वाली अमावस्या के अगले दिन यानी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चंद्र दर्शन और पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कुंडली में विपरीत चंद्र अनुकूल होते हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को चंद्र दर्शन पुण्यफलदायी माना जाता है। यह तिथि 24 दिसंबर शनिवार को पड़ रही है। इस दिन चंद्रोदय शाम 5.30 से 6.22 बजे तक है।
चंद्र दर्शन का महत्वः शास्त्रों में कई जगह इसका वर्णन मिलता है कि शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को चंद्र दर्शन से कुंडली में विपरीत चंद्र अनुकूल हो जाते हैं और भक्त को राहत देने लगते हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा अर्चना का भी विधान बताया गया है।
कहा जाता है चंद्रमा मन का कारक होता है, ऐसे व्यक्ति जिनका मन अशांत रहता है उन्हें इससे विशेष लाभ मिलता है। उनका मन स्थिर होता है और उन्हें शांति मिलती है। इसके अलावा चंद्रमा की इस दिन पूजा से सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
चंद्रमा की पूजा विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें और शाम को चंद्रोदय होने पर पूजा करें। इसके लिए पहले अर्घ्य दें फिर रोली और फूल अर्पित करें।
इस दौरान ऊं इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं,
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै,
पुत्रमस्यै विशवोSमी राजः सोमोSस्माकं ब्राह्माणानां ग्वं राजा।
मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन चंद्रमा को खीर का भोग लगाना अच्छा माना जाता है। इसके अलावा ऊं सों सोमाय नमः मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
ये है चंद्रदेव का बीज मंत्रः आचार्य प्रदीप के मुताबिक चंद्रदेव का बीज मंत्र ऊं श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः है।
चंद्रदेव के अन्य मंत्र
ऊं श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।
ऊं ऐं क्लीं सोमाय नमः।
ऊं श्रीं श्रीं चंद्रमसे नमः।
Updated on:
23 Dec 2022 06:28 pm
Published on:
23 Dec 2022 06:26 pm
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