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Pitru Paksha 2023: श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के लिए सात काम जरूर करें, पितर की प्रसन्नता से कटेंगे कष्ट

Pitru Paksha 2023 पितृ पक्ष पितरों को याद करने और उनको सम्मान देने का पखवाड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय विधि विधान से किए जाने वाले कर्म से उनको शांति मिलती है, जिससे वो प्रसन्न होते हैं तो प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय से आइये जानते हैं वे कौन से सात काम हैं जिसे श्राद्ध पक्ष में जरूर करना चाहिए।

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Pravin Pandey

Sep 28, 2023

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श्राद्ध पक्ष 2023

कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाती है और यह अश्विन (क्वार) माह की अमावस्या तक चलती है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा और प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध नाम से जानते हैं। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, लेकिन यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यतः पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरम्भ होता है।


यह भी बता दें कि जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध करते हैं। पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।


श्राद्ध पूर्णिमा के मुहूर्त
पंचांग के अनुसार श्राद्ध पूर्णिमा 28 सितंबर शाम को 6.49 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 29 सितंबर को दोपहर 3.26 बजे तक रहेगी। इसलिए श्राद्ध पूर्णिमा उदयातिथि में शुक्रवार 29 सितंबर को होगी। इस दिन श्राद्ध के ये मुहूर्त हैं।


कुतुप मूहूर्तः सुबह 11:47 बजे से 12:35 बजे तक
रौहिण मूहूर्तः दोपहर 12:35 बजे से 01:23 बजे तक
अपराह्न काल: दोपहर 01:23 बजे से 03:46 बजे तक

ये भी पढ़ेंः Shradh Paksha: शुरू हो रहा है श्राद्ध पक्ष, भूलकर भी न करें ये 7 काम

श्राद्ध पक्ष में ये सात काम जरूर करने चाहिए
1. श्राद्ध पक्ष शुरू होने से पहले घर में कुशा जरूर रख लेनी चाहिए, क्योंकि कुशा को जब अंजुली में फंसाया जाता है तभी तर्पण जैसा महायज्ञ कर सकते हैं।
2. 16 दिवस तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
3. पलंग की जगह पितृपक्ष में धरती पर सोना चाहिए।
4. सुबह-सुबह पूर्वजों के निमित्त तर्पण करें।
5. सूर्य नारायण को जल चढ़ाने के बाद ही कुछ ग्रहण करें, जल पी सकते हैं। चाय, नाश्ता आदि भी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ग्रहण करें।
6. योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं (मान्यता है कि ब्राह्मण के माध्यम से ही पितृ भोजन ग्रहण करते हैं)।
7. भोजन करने से पहले एक हिस्सा गाय, एक हिस्सा कौआ, एक हिस्सा कुत्ता और एक हिस्सा चींटियों के लिए निकालें।