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पितृ पक्ष के अंतिम बुधवार एकादशी को 108 बार जप लें इनमें से कोई भी एक मंत्र, गणेश जी करेंगे हर कामना पूरी

locationभोपालPublished: Sep 24, 2019 05:30:32 pm

Submitted by:

Shyam

Pitru Paksha : Ganesh Mantra jaap Benefits: पितृ पक्ष के अंतिम बुधवार एकादशी को 108 बार जप लें इनमें से कोई भी एक मंत्र, गणेश जी करेंगे हर कामना पूरी

पितृ पक्ष के अंतिम बुधवार एकादशी को 108 बार जप लें इनमें से कोई भी एक मंत्र, गणेश जी करेंगे हर कामना पूरी

पितृ पक्ष के अंतिम बुधवार एकादशी को 108 बार जप लें इनमें से कोई भी एक मंत्र, गणेश जी करेंगे हर कामना पूरी

पितृ पक्ष के अंतिम बुधवार यानी की 25 सितंबर को इंदिरा एकादशी तिथि भी है। बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी होने के कारण यह दिन और भी खास हो जाता है। अगर इस दिन किसी भी प्राचीन गणेश मंदिर में जाकर नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का केवल 108 बार जप सुबह एवं 108 बार शाम को किया जाए तो प्रसन्न होकर गणेश जी सभी मनोकामना पूरी कर देते हैं।
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इन मंत्रों में से करें किसी भी एक गणेश मंत्र का 108 बार जप-

1- इस मंत्र के जप से दरिद्रता का नाश होकर, धन प्राप्ति के प्रबल योग बनने लगते हैं।
।। ॐ गं लक्ष्म्यौ आगच्छ आगच्छ फट् ।।
2- वाद-विवाद, कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्ति के लिए एवं शत्रु भय से छुटकारा पाने के लिए इस मंत्र को जपें।
।। ॐ गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लम्बोदराय ह्रीं गं नमः ।।

3- इस मंत्र के जप से यात्रा में सफलता मिलती है।
।। ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा।।
4- यह हरिद्रा गणेश साधना का चमत्कारी मंत्र हैं, इसके जप से सर्वत्र मंगल ही मंगल होता है।
।। ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा ।।

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5- इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करने से गृह कलेश दूर होता है एवं घर में सुखशान्ति बनी रहती है।
।। ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः ।।

6- व्यापार से सम्बन्धित बाधाएं एवं परेशानियां निवारण एवं व्यापर में निरंतर उन्नति हेतु।
।। ॐ गणेश महालक्ष्म्यै नमः ।।
7- भयानक असाध्य रोगों से परेशानी होने पर, उचित ईलाज कराने पर भी लाभ प्राप्त नहीं हो रहा हो, तो पूर्ण विश्वास सें इस मंत्र का जप करने से या किसी साधक से करवाने पर रोगी धीरे-धीरे रोगी रोग मुक्त हो जाता है।
। । ॐ गं रोग मुक्तये फट् ।।
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