12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Pradosh Vrat Katha : प्रदोष व्रत कथा की खास बातें जानकर करें व्रत, होगी पुण्यकारी फल की प्राप्ति

Pradosh Vrat Katha : हिंदू धर्म में कार्तिक मास में आने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यहां पर आप प्रदोष व्रत कथा के बारे में जानिए।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Sachin Kumar

Nov 15, 2024

Pradosh Vrat Katha

प्रदोष व्रत करने सभी संकट दूर होते हैं। देवों के देव का मिलता है आशीर्वाद।

Pradosh Vrat Katha : प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक विशेष व्रत है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की कथा।

धार्मिक कथाओं के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के दिन शाम के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपनी पत्नी पार्वती के साथ नृत्य करते हैं। इसलिए यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह व्रत जीवन की सभी कष्टों को दूर कर, शांति, धन वैभव और आरोग्य प्रदान करता है। इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत के प्रकार (Pradosh Vrat Ke Prakar)

  1. सोम प्रदोष - यह व्रत सोमवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत है। इस दिन किए जाना वाला व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य और शांति के लिए रखा जाता है।
  2. भौम प्रदोष - भौम प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है। यह व्रत संतान की सुख-शांति और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है।
  3. शनि प्रदोष - शनिवार को प्रदोष व्रत रखने से शनि दोष और जीवन की सभी विपत्तियों से छुटकारा मिलता है।

प्रदोष व्रत के लाभ (Pradosh Vrat Ke Labh)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखते हैं। उनके जीवन में आर्थिक परेशानियां और शारीरिक बीमारियां भी दूर होती है और जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। वहीं इस व्रत को वैवाहिक जीवन और संतान को सुख प्राप्ति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण बढ़ता है।

प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। व्रत करने वाले को दिनभर निराहार रहना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, घी, और गंगा जल से अभिषेक करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, और चंदन अर्पित करें।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की आरती करें।
  • शिवपुराण या शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।

व्रत समापन (Vrat Samapan)

प्रदोष व्रत की पूजा के बाद ही फलाहार करें। यदि संभव हो तो अगले दिन सुबह दान-पुण्य करें। प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सशक्त माध्यम है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है। बल्कि व्यक्ति के जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भी भर देता है। यदि आप भी जीवन की कठिनाइयों से मुक्त होना चाहते हैं तो इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ अवश्य करें।

ये भी पढ़ें - kalashtami Katha 2024: क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी, जानिए पौराणिक कथा

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।