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Jyeshtha Purnima Upay: ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान दान ईश्वर को करता है प्रसन्न, ये अचूक उपाय करते हैं सौभाग्य में वृद्धि, तिजोरी नहीं होती खाली

jyeshtha purnima: ज्येष्ठ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव, सूर्य नारायण और चंद्रदेव की विशेष पूजा होती है। साथ ही स्नान दान लाभकारी होती है। लेकिन ज्येष्ठ पूर्णिमा के अचूक उपाय भी ग्रंथों में बताए गए हैं, जिससे व्यक्ति की मनोकामना आसानी से पूरी हो सकती है। पढ़ें ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय और ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट पूर्णिमा पूजा विधि ...

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jyestha purnima snan dan

ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान दान

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्यक्ति के पाप कटते हैं। इस दिन पितरों के तर्पण आदि का भी विधान है। इससे पितर खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इससे व्यक्ति को सभी सुख मिलते हैं और मृत्यु के बाद भगवान के लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन के कुछ अचूक उपाय हैं, यदि व्यक्ति इन्हें अपनाए तो उसक सौभाग्य में वृद्धि होती है, उसकी तिजोरी कभी खाली नहीं होती। आइये जानें ज्येष्ठ पूर्णिमा के अचूक उपाय और पूजा विधि ...



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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा


1. ऐसे लोग जो ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रख रहे हैं उन्हें सुबह उठकर पूजा स्थल को स्वच्छ करना चाहिए।
2. गंगा नदी में स्नान कर सकें तो अच्छा वर्ना पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
3. तांबे के लोटे में अक्षत, कुमकुम, फूल आदि डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।


4. इसके बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शंकर की विधि विधान से पूजा करें।
5. सभी के लिए धूप, दीप जलाएं, उनके प्रिय फूल और भोग लगाएं।
6. भगवान के मंत्रों का जाप, चालीसा आदि का पाठ करें।


7. आरती करें, उपयुक्त दान पुण्य करें।
8. गलती के लिए क्षमा मांगें।

वट पूर्णिमा व्रत की पूजा


ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही वट पूर्णिमा व्रत है, इस दिन पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।


1. इसके लिए सुहागिनों को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
2. वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें और वट वृक्ष की पूजा करें।
3. पूजा के दौरान व्रती महिलाओं को बरगद के पेड़ को जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ानी चाहिए।


4. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए सूत बांधें और ईश्वर से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगें।
5. वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ें और घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।

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वट पूर्णिमा व्रत पूजा के दिन क्या करना चाहिए

1. वट पूर्णिमा के दिन पूजा के बाद श्रृंगार का सामान किसी अन्य सुहागन महिला को दे दें।
2. बरगद के पेड़ को कच्चा दूध चढ़ाएं। मान्यता है कि इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
3. वट पूर्णिमा व्रत के दिन फलाहर का सेवन करना चाहिए और मीठी चीजों से व्रत का पारण करना चाहिए।


4. भीगे चने पर रुपये रखकर सास के चरण स्पर्श करना चाहिए।
5. व्रत के बाद फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करना चाहिए।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के अचूक उपाय


1. चंद्र दोष दूर करने का उपाय

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद चंद्रमा से जुड़ी चीजों के दान करने का विधान है। इस दिन किसी ब्राह्मण को चंद्रमा से जुड़ी चीजें सफेद वस्त्र, शक्कर, चावल, दही, चांदी, सफेद फूल, मोती आदि का दान करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इससे साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

2. तिजोरी नहीं होती खाली

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 कौड़ियां चढ़ाएं और उनका हल्दी से तिलक करें। अगले दिन इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलेगी और धन की कमी नहीं रहेगी।

3. लक्ष्मी जी की कृपा

मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके चलते इस दिन सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ को मीठी चीजें और जल अर्पित करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।

4. स्नान और दान

मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान और पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान अवश्य करना चाहिए।